‘चुशुल उप-क्षेत्र’ पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण में स्थित है। इसमें ब्लैक टॉप, हेलमेट टॉप, गुरुंग हिल और मैगर हिल के ऊँचे और खंडित पर्वत शामिल हैं। इनके अलावा इस क्षेत्र में रेजांग ला, रेचिन ला तथा स्पांगुर गैप व चुशुल घाटी जैसे मार्ग भी शामिल हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) के निकट लगभग 13,000 फीट की ऊँचाई पर अवस्थित 'चुशुल घाटी' में एक महत्त्वपूर्ण हवाई पट्टी भी स्थित है, जो वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में बेहद उपयोगी साबित हुई थी।
चुशुल, भारतीय सेना और चीन की 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी' (PLA) के बीच पाँच ‘बॉर्डर पर्सनल मीटिंग पॉइंट्स’ में से एक है। यहाँ दोनों सेनाओं के प्रतिनिधि नियमित बातचीत के लिये मिलते हैं।
एक प्रकार से चीन के लिये 'लेह का प्रवेश द्वार' मानी जाने वाली 'चुशुल घाटी' अपनी अवस्थिति और भू-दृश्यों की वजह से अत्यधिक सामरिक महत्त्व रखती है, जिस कारण यह रसद तैनाती का एक विशेष केंद्र है।
इस क्षेत्र में कुछ किमी. चौड़े मैदानी क्षेत्र हैं, जहाँ टैंक सहित मैकेनाइज्ड फोर्स को तैनात किया जा सकता है। साथ ही, हवाई पट्टी और सड़क मार्ग से लेह तक की कनेक्टिविटी इसके परिचालन लाभ में वृद्धि करते हैं।
हाल ही में, चुशुल उप-क्षेत्र भारतीय और पी.एल.ए. सैनिकों के बीच गतिरोध का केंद्र बना हुआ है।