पर्यावरणीय थिंक टैंक ‘ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद्’ ने अपनी तरह का पहला ज़िला-स्तरीय ‘जलवायु सुभेद्यता सूचकांक’ जारी किया है। इसमें चरम मौसमी परिघटनाओं, जैसे चक्रवात, बाढ़, हीटवेव, सूखा आदि के प्रति संवेदनशीलता का आकलन करने के लिये देश के 640 ज़िलों का विश्लेषण किया गया है।
जलवायु सुभेद्यता सूचकांक का आकलन मानचित्र एक्सपोज़र (चरम मौसमी परिघटनाओं के प्रति प्रवण ज़िला), संवेदनशीलता (मौसमी परिघटनाओं से ज़िलों पर प्रभाव की आशंका) तथा अनुकूलन क्षमता (ज़िले की प्रतिक्रिया) के आधार पर किया गया है।
यह जलवायु-प्रूफिंग समुदायों, अर्थव्यवस्थाओं तथा बुनियादी ढाँचे द्वारा लचीलापन बढ़ाने व अनुकूलन करने के लिये महत्त्वपूर्ण सुभेद्यताओं और योजना रणनीतियों के मानचित्रण में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, यह अध्ययन ‘जल संबंधी मौसमी आपदाओं’ के संयुक्त जोखिमों, जैसे बाढ़, चक्रवात और सूखा के प्रभाव का भी आकलन करता है।
रिपोर्ट के अनुसार 27 भारतीय राज्य एवं संघ राज्यक्षेत्र चरम जलवायविक घटनाओं के प्रति सुभेद्य हैं। असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा बिहार बाढ़, चक्रवात और सूखे के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील राज्य हैं, जबकि देश के 640 ज़िलों में से 463 बाढ़, सूखे एवं चक्रवातों के प्रति अत्यधिक सुभेद्य हैं।