असम सरकार ने दिहिंग पटकाई को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया है। यह असम घाटी के उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वनों का अंतिम शेष खंड है, जो असम का सातवाँ राष्ट्रीय उद्यान बन गया है।
यह राष्ट्रीय उद्यान पूर्ववर्ती देहिंग पटकाई वन्यजीव अभयारण्य, जेपोर आरक्षित वन तथा ऊपरी दिहिंग आरक्षित वन के पश्चिमी ब्लॉक को शामिल करता है। वन संरक्षण अधिनियम के तहत डायवर्ट किये गए वन ग्राम क्षेत्र को इस उद्यान क्षेत्र से बाहर रखा गया है, जबकि दिराक तथा बूढी दिहांग नदियों के कुछ हिस्से को इसमें शामिल किया गया है।
लगभग 234 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत यह राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी असम के डिब्रूगढ़ तथा तिनसुकिया ज़िलों का एक प्रमुख हाथी निवास स्थल है। यहाँ तितलियों की 310 प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में सरीसृप व स्तनधारियों में से प्रत्येक की 47 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें बाघ तथा क्लाउडेड तेंदुआ शामिल हैं।
मध्य प्रदेश (12) एवं अंडमान निकोबार द्वीपसमूह (9) के बाद असम अब तीसरा सबसे अधिक राष्ट्रीय उद्यान वाला राज्य बन गया है। विदित है की इससे पूर्व पश्चिमी असम के कोकराझार ज़िले में स्थित ‘रायमोना राष्ट्रीय उद्यान’ को असम का छठा राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
असम में पहले से अवस्थित पाँच राष्ट्रीय उद्यान हैं- काजीरंगा, मानस, नामेरी, ओरंग तथा डिब्रू-सैखोवा। इनमें से काजीरंगा तथा मानस यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हैं तथा नामेरी व ओरांग के साथ ये टाइगर रिज़र्व भी हैं।