इबोला रक्तस्रावी बुखार मनुष्यों में होने वाला एक गंभीर तथा दुर्लभ रोग है। इसे इबोला वायरस रोग (EVD) के रूप में भी जाना जाता है। यह रोग इबोला वायरस के कारण होता है।
इबोला वायरस का संबंध फिलोविरिडे (Filoviridea) कुल से है। इस वायरस की पाँच प्रजातियों की पहचान की गई है, जो हैं - ज़ायरे, बुंडिबुग्यो, सूडान, रेस्टन एवं ताई फॉरेस्ट।
यह वायरस जंगली जानवरों; जैसे- चमगादड़, चिंपैंजी, गोरिल्ला आदि के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। विदित है कि यह वायरस वायु के द्वारा नहीं फैलता है।
इस रोग के प्रमुख लक्षण; बुखार, माँसपेशियों में दर्द, आंतरिक एवं बाह्य रक्तस्त्राव, उल्टी एवं दस्त आदि हैं। इसके लक्षण 2 से 21 दिनों के भीतर प्रकट होते हैं। यह एक जानलेवा रोग है, जिसमें 50% से 90% मामलों में रोगी की मृत्यु हो जाती है। इस रोग का अभी तक कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है।
ध्यातव्य है कि इबोला वायरस की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1976 में कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में इबोला नदी के निकट हुई थी। हाल ही में, डी.आर.सी. ने अपने यहाँ इबोला प्रकोप की समाप्ति की घोषणा की है।