साल वन का कछुआ जिसे 'एलोंगेटेड टॉरटॉइज़' (Indotestudo elongata) भी कहा जाता है, परम्परागत रूप से भारत के पूर्वी एवं उत्तरी क्षेत्र के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाने वाली मीठे जल के कछुओं की एक प्रजाति है। वर्तमान में, इन क्षेत्रों में इस प्रजाति को सामान्यतः नहीं देखा जाता है।
- भारत में पाई जाने वाली मीठे जल के कछुओं की 29 में से 23 प्रजातियाँ आई.यू.सी.एन. की रेड डाटा लिस्ट में संकटापन्न श्रेणी (Threatened Category) में शामिल हैं। एलोंगेटेड टॉरटॉइज़' आई.यू.सी.एन. की गम्भीर संकटापन्न (Critically Endangered) श्रेणी में शामिल है। इसका शिकार मुख्यतः भोजन के लिये किया जाता है।
- देहरादून स्थित, भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि आरक्षित क्षेत्र में 'एलोंगेटेड टॉरटॉइज़' की उपस्थिति बहुत कम रह गई है। साथ ही, इस प्रजाति की 29 प्रतिशत उपस्थिति ऐसे क्षेत्र में है जो जंगली आग की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। इसके चलते, एक तरफ जहाँ ये आग से जलकर मर जाते हैं, वहीं इन तक शिकारियों की पहुँच भी आसान हो जाती है।
- हर्पेटोलॉजीकल कंज़र्वेशन एंड बायोलॉजी (Herpetological Conservation and Biology) नामक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 'एलोंगेटेड टॉरटॉइज़' की 90 फीसदी उपस्थिति आरक्षित क्षेत्र से बाहर है। आई.यू.सी.एन. के मुताबिक, पिछली तीन पीढ़ियों (90 वर्षों) में 'एलोंगेटेड टॉरटॉइज़' की आबादी में 80 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
- 'एलोंगेटेड टॉरटॉइज़' के अध्ययन के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोधकर्त्ता भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, भूटान तथा नेपाल गए थे। उल्लेखनीय है कि भारत में सीमा-पार (Transboundary) शोध जैसे प्रयास 'बाघ सम्बंधी शोध' के लिये बमुश्किल ही देखे जाते हैं।