फेसबुक का निगरानी बोर्ड (Facebook's Oversight Board)/h1>
फेसबुक का निगरानी बोर्ड एक स्वायत्त निकाय है। यह बोर्ड फेसबुक अथवा इसके फोटो शेयरिंग प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम द्वारा किसी व्यक्ति के कंटेंट को शेयर/पोस्ट करने या न करने के निर्णय की जाँच करके उसके संदर्भ में निर्णय लेता है। जाँच के उपरांत इसके द्वारा दिये गए निर्णय फेसबुक के लिये बाध्यकारी होते हैं।
यह किसी मामले के संदर्भ में अथवा फेसबुक द्वारा अनुरोध करने पर फेसबुक की कंटेंट पॉलिसी में परिवर्तनों की अनुशंसा भी कर सकता है, किंतु इस तरह की अनुशंसाएँ फेसबुक के लिये बाध्यकारी नहीं होती हैं।
निगरानी बोर्ड को 'फेसबुक के सुप्रीम कोर्ट' के रूप में भी जाना जाता है। इसकी घोषणा वर्ष 2018 में की गई थी, जबकि 22 अक्तूबर, 2020 से इसने आधिकारिक रूप से कार्य करना शुरू किया।
निगरानी बोर्ड में किसी भी मामले की जाँच एक पाँच सदस्यीय पैनल द्वारा की जाती है, इनमें से एक सदस्य उस भौगोलिक क्षेत्र से होता है जहाँ से संबंधित मामले की जाँच की जाती है। हाल ही में, बोर्ड ने फेसबुक द्वारा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेसबुक पेज को ब्लॉक करने संबंधी निर्णय को बरकरार रखा है।
फेसबुक अथवा इंस्टाग्राम के साथ-साथ इनके उपयोगकर्ता किसी शिकायत की स्थिति में जाँच के लिये मामलों को बोर्ड के पास भेज सकते हैं। निगरानी बोर्ड की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिये फेसबुक ने 130 मिलियन डॉलर के आरंभिक वित्तीयन से एक अपरिवर्तनीय ट्रस्ट गठित किया है।