जीआई टैग किसी कृषि, प्राकृतिक अथवा विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प तथा औद्योगिक वस्तु) को प्रदान किया जाता है, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है या जिसे किसी निश्चित क्षेत्र में ही उगाया या निर्मित किया जाता है। जीआई टैग को औद्योगिक सम्पत्ति के संरक्षण हेतु पेरिस कन्वेंशन के अंतर्गत बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (IPRs) के घटक के रूप में शामिल किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीआई टैग का विनियमन ट्रिप्स (TRIPS) समझौते के तहत, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं का भौगोलिक सूचक' ( पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत किया जाता है। जीआई टैग, चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री द्वारा जारी किया जाता है।
- हाल ही में, 4 उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया है:
1. चक-हाओ चावल- यह मणिपुर में उगाया जाने वाला काला, सुंगधित व चिपचिपा चावल है, जो काफी पोष्टिक होता है;
2. टेराकोटा- उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में कुम्हारों द्वारा बनाए जाने वाले मिट्टी के खिलौने;
3. कोविलपट्टी कदलयी (Kovilpatti kadlai) मिठाई- यह तमिलनाडु , विशेषकर तूतुकुडी ज़िले में गुड़ व मूँगफली को मिलाकर बनाई जाने वाली मिठाई है, जिसमें विशेष रूप से थमबीररानी नदी का पानी प्रयुक्त किया जाता है;
4. कश्मीरी केसर- कश्मीर घाटी में उगाया जाने वाला लम्बा व गहरे लाल रंग का सुंगधित केसर, क्रोकिन की उच्च मात्रा के कारण इसका रंग अद्वितीय है।
- जीआई टैग प्राप्त होने पर किसी उत्पाद तथा उसके उत्पादकों को संरक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में इन उत्पादों के मूल्य निर्धारण में सहायता मिलती है और ऐसे उत्पादों की गुणवत्ता व विशिष्टता सुनिश्चित होती है। उल्लेखनीय है कि दार्जलिंग टी वर्ष 2004 में जीआई टैग प्राप्त करने वाला प्रथम भारतीय उत्पाद है।