ग्लोबल कोरल रीफ मॉनिटरिंग नेटवर्क (GCRMN) द्वारा विश्व में प्रवाल भित्तियों की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की गई है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक में लगभग 14% प्रवाल भित्तियों का ह्रास हुआ है।
13 वर्षों में प्रकाशित अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट में वैश्विक तापन के विनाशकारी परिणामों को रेखांकित किया गया है। महासागरीय अम्लीकरण, समुद्री तापमान तथा स्थानीय कारण जैसे प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ना, अस्थिर पर्यटन एवं खराब तटीय प्रबंधन प्रवाल पारिस्थितिक तंत्र के लिये एक संयुक्त खतरा उत्पन्न करते हैं।
इस रिपोर्ट को चार दशकों (1978 -2019) तक एकत्र किये गए वैश्विक डाटासेट के आधार पर तैयार किया गया है। इसके अनुसार ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करके प्रवाल भित्तियों को बचाया जा सकता है।
पिछले चार दशकों में कठोर प्रवाल आवरण में लगातार कमी आई है। वर्ष 1998 में बड़े पैमाने पर हुई प्रवाल विरंजन की घटनाओं से विश्व के 8% प्रवाल नष्ट हो गए, जिनकी संख्या वर्तमान में कैरिबियन या लाल सागर तथा अदन की खाड़ी में पाए जाने वाले प्रवालों की संख्या से अधिक है। दक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत क्षेत्र, पूर्वी एशिया, पश्चिमी हिंद महासागर और ओमान की खाड़ी में प्रवाल सर्वाधिक प्रभावित हैं।
सजीव कठोर प्रवाल आवरण प्रवाल भित्तियों के स्वास्थ्य का सूचक है। प्रवाल समुद्री सतह के 1% से भी कम क्षेत्र पर पाए जाते हैं, किंतु एक अरब से अधिक लोग इससे प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं।