हक्की पिक्की एक अर्ध-खानाबदोश शिकारी जनजाति है जो कर्नाटक में, विशेषकर वन क्षेत्रों के पास रहती है। कन्नड़ में हक्की का अर्थ 'पक्षी' और पिक्की का अर्थ 'पकड़ने वाले' होता है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक में हक्की पिक्की की जनसँख्या 11,892 है। इनमें शिक्षा का स्तर निम्न है। यह जनजाति मूलतः गुजरात और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों से संबंधित है। इस जनजाति के लोग वाघरी (दक्षिण भारत की एक अवर्गीकृत आदिवासी इंडो-आर्यन भाषा), कन्नड़ और हिंदी बोलते हैं।
यह जनजाति क्रॉस-कजिन विवाह को प्राथमिकता देती है। हक्की पिक्की मातृ सत्तात्मक समाज है और इसमें बहुविवाह की प्रथा नहीं पायी जाती है।
विगत 20 वर्षों से हक्की पिक्की लोग जड़ी-बूटियों के तेल का व्यवसाय करने और अपने उत्पादों को बेचने के लिये अफ्रीकी देशों की यात्रा कर रहे हैं। इस समुदाय के कई लोग हिंसाग्रस्त सूडान में फंसे हुए हैं।