गलघोंटू रोग या रक्तस्रावी सेप्टीसीमिया प्रायः गायों और भैसों में फैलने वाला जीवाणुजनित रोग है। मानसून के पहले या बाद के समय में यह बीमारी सर्वाधिक फैलती है।
इस बीमारी का प्रसार ‘पास्चुरेला मल्टोसीडा’ (Pasteurella multocida) नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। गायों की अपेक्षा भैसें इस रोग से अधिक प्रभावित होती हैं। पशुओं में इस रोग की पहचान सर्वप्रथम वर्ष 1878 में जर्मनी में बोलिनगर नामक वैज्ञानिक द्वारा की गई थी ।
तेज़ बुखार, मुँह में लार का बार-बार आना, गले में सूज़न, साँस लेने में तकलीफ़ आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। इसके चलते कभी-कभी पशु की अचानक मृत्यु भी हो जाती है। इसकी रोकथाम हेतु पशुओं को टीका लगाया जाता है, पहला टीका 3 माह में तथा दूसरा टीका 9 माह की आयु में लगाया जाता है।
इस रोग का सर्वाधिक प्रसार दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा अफ्रीका में देखने को मिला है। हाल ही में, ओडिशा के कालाहांडी ज़िले के करलापट वन्यजीव अभयारण्य में छह हाथियों की इस रोग के कारण मृत्यु हो गई।