होयसल कला शैली 11वीं से 14वीं सदी के मध्य कर्नाटक क्षेत्र में होयसल राजाओं के शासनकाल में विकसित हुई। होयसल राजाओं ने 1500 से अधिक मंदिरों का निर्माण करवाया।
इस शैली के प्रारंभिक साक्ष्य एहोल, बादामी और पड्डकल के चालुक्य मंदिरों में मिलते हैं।
यह शैली मानवता और अध्यात्म के विभिन्न पक्षों को दर्शाती है। धार्मिक सहिष्णुता इसकी प्रमुख विशेषता है। इस शैली में शैव, वैष्णव तथा जैन मंदिरों का निर्माण किया गया।
हलेबिड का होयेसलेश्वर मंदिर जो एक शैव मंदिर है तथा सोमनाथपुर का केशव मंदिर जो एक वैष्णव मंदिर है, इस शैली के प्रमुख उदहारण हैं।
भारत सरकार ने शांति निकेतन और होयसल के पवित्र प्रतीकों को 2021-22 में विश्व विरासत स्थल घोषित करने हेतु प्रस्तावित किया है।