केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू कश्मीर के किसानों की आय में वृद्धि के लिये ‘एकीकृत अरोमा डेयरी उद्यमिता’ का प्रस्ताव रखा है। जम्मू कश्मीर में पशुपालन एवं डेयरी संसाधनों का प्रचुर भंडार है, जिसे अरोमा मिशन के साथ प्रभावी ढंग से एकीकृत किया जा सकता है। यह सतत् संवृद्धि सुनिश्चित करेगा तथा किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ उनकी आजीविका का भी मार्ग प्रशस्त करेगा।
‘केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ के तत्त्वावधान में ‘सी.एस.आई.आर.’ द्वारा जम्मू-कश्मीर में लॉन्च किये गए अरोमा मिशन को ‘लैवेंडर या बैंगनी क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है। यह यूरोप की स्थानिक फसल है। सी.एस.आई.आर. के प्रयासों से इसकी कृषि की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के डोडा, किश्तवाड़ और राजौरी ज़िलों में की गई है।
इस मिशन की शुरुआत किसानों की आजीविका में सुधार लाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप की गई थी। इसके तहत किसानों को रोपण सामग्री प्रदान करने के अलावा आसवन इकाइयां तथा बेहतर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। लैवेंडर तेल की अत्यधिक माँग के कारण इसकी कृषि करने वाले किसानों को अत्यधिक लाभ हुआ है।
सी.एस.आई.आर. द्वारा जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर के अतिरिक्त कई उच्च मूल्य की सुगंधित और औषधीय नकदी फसलों की शुरूआत की गई हैं। इसका विस्तार अरोमा मिशन फेज-2 के तहत किया जा रहा है। यहाँ फ्लोरीकल्चर मिशन (फूलों की खेती) की भी शुरूआत की गई है, जिससे किसानों व महिलाओं के जीवन में परिवर्तनकारी बदलाव आएगा।