हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने पुरी (ओडिशा) के जगन्नाथ मंदिर में 23 जून से शुरू होने वाली वार्षिक रथ यात्रा पर कोविड-19 महामारी के सम्भावित प्रसार को देखते हुए रोक लगा दी है।
- प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाए जाने वाले इस त्योहार को रथों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
- यह त्योहार भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को समर्पित है। यह रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुण्डिच्चा मंदिर पर समाप्त होती है, यह पुरी का प्रधान पर्व भी है।
- इस त्योहार के दौरान मंदिर के तीनों देवताओं को तीन अलग-अलग रथों में यात्रा कराई जाती है। इन रथों को क्रमशः नंदीघोष, तलध्वज तथा देवदलन कहा जाता है। हर वर्ष तीनों देवताओं के लिये नए रथों का निर्माण किया जाता है। प्रत्येक रथ में लकड़ी के चार घोड़े जुड़े होते हैं।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 1737 के बाद इस वर्ष पहली बार इस यात्रा को स्थगित किया गया है।