‘लेशमेनियासिस’ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैलने वाली एक बीमारी है, जो भारत सहित करीब 100 देशों में पाई जाती है। यह बीमारी लेशमेनिया नामक प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होती है, सैंड फ्लाई इसकी वाहक (Transmitter) है।
i. विसरल लेशमेनियासिस (Visceral Leishmaniasis)– तीनों प्रकारों में यह सबसे ख़तरनाक है, जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है। इसे काला अज़ार तथा दमदम बुखार आदि नामों से भी जाना जाता है। यह यकृत (Liver), प्लीहा (Spleen), अस्थि मज्जा (Bone Marrow) जैसे अंगों को प्रभावित करती है। बुखार, वज़न घटना, खून की कमी, सूजन इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
ii. क्यूटेनियस लेशमेनियासिस (Cutaneous Leishmaniasis)- त्वचा पर घाव होना इसका प्रमुख लक्षण है।
iii. म्यूकोक्यूटेनियस लेशमेनियासिस (Mucocutaneous Leishmaniasis)– आंतरिक अंगों की झिल्ली पर घाव होना इसका प्रमुख लक्षण है।