गुजरात में जूनागढ़ ज़िले के एक किसान-वैज्ञानिक वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया ने गाजर की एक बायोफोर्टिफाइड किस्म विकसित की है, स्थानीय स्तर पर इसे 'मधुवन गाजर' कहा जाता है।
- मधुवन गाजर में बीटा कैरोटीन (β Carotene) तथा लौह तत्त्व की उच्च मात्रा विद्यमान है। इस किस्म से क्षेत्र के 150 से अधिक किसानों को लाभ मिल रहा है।
- यह एक उच्च पौष्टिकता वाली किस्म है। इसे 'चयन पद्धति' (Selection method) द्वारा विकसित किया गया है, इसमें बीटा-कैरोटीन की मात्रा 277.75 मिलीग्राम/किग्रा. तथा लौह तत्त्व 276.7 मिलीग्राम/किग्रा. मौजूद है।
- बायोफोर्टिफिकेशन, एक संकरण प्रक्रिया (Breeding process) है जिसमें खाद्य फसलों में पोषक तत्त्वों की उपलब्धता बढ़ाई जाती है।
- ध्यातव्य है कि वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया को उनके नवाचार के लिये वर्ष 2017 में नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन अवॉर्ड तथा वर्ष 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।