हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘वित्तीय शिक्षा हेतु राष्ट्रीय रणनीति (NSFE), 2020-25’ जारी की। इसका मुख्य उद्देश्य, भारत को वित्तीय रूप से जागरूक व सशक्त बनाना है। यह अपने प्रकार की दूसरी रणनीति है। इससे पूर्व 2013 से 2018 के दौरान वित्तीय साक्षरता के प्रसार हेतु प्रथम रणनीति जारी की गई थी।
- इस रणनीति को वित्तीय क्षेत्र के 4 प्रमुख विनियामकों (आर.बी.आई, सेबी, इरडा तथा पी.एफ.आर.डी.ए.) के परामर्श से ‘राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केंद्र’ (NCFE) द्वारा तैयार किया गया है।
- इसके अंतर्गत, देश की जनसंख्या के सभी वर्गों (स्त्री, पुरुष, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक, नियोक्ताओं आदि) को वित्तीय रूप से साक्षर बनाने व उनमें बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया है। इस हेतु एन.सी.एफ.ई. द्वारा सिफारिशें प्रस्तुत की गई थीं, जो इस रणनीति का आधार बनीं। इनमें से प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं–
- इस रणनीति में 5-C दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई, जिसमें विषयवस्तु (Content), क्षमता (Capacity), समुदाय (Community), संचार (Communication) तथा सहयोग (Collaboration) शामिल हैं।
- वित्तीय शिक्षा प्रदाताओं के लिये एक आचार संहिता निर्मित की जाए।
- विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम में वित्तीय शिक्षा को शामिल किया जाए।
- उल्लेखनीय है कि ‘राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केंद्र’ कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा-8 के तहत गठित एक गैर-लाभकारी कम्पनी है। आर.बी.आई, सेबी, इरडा तथा पी.एफ.आर.डी.ए. इस कम्पनी के प्रमोटर्स हैं।