जब किसी कोशिका की वृद्धि दर में असामान्य, निरंतर व तीव्र गति से परिवर्तन होता है, तो यह प्रक्रिया नियोप्लाज़्म (Neoplasm) कहलाती है और इससे निर्मित ट्यूमर ‘नियोप्लास्टिक ट्यूमर’ कहलाता है। यह ट्यूमर हानिकारक (Malignant) भी हो सकता है और अहानिकारक (Benign) भी।
- इस बीमारी का स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं है, सामान्यतः जीन उत्परिवर्तन को इसके लिये उत्तरदायी माना जाता है। अतः विशेषज्ञ इसे एक आनुवंशिक बीमारी मानते हैं।
- यह बीमारी मानव तथा जानवर दोनों को प्रभावित करती है। रक्त की कमी, दम घुटना, बुखार, पेट दर्द, ब्रेस्ट कैंसर, सूजन इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसका कोई प्रभावी उपचार तो उपस्थित नहीं है, किंतु प्रारम्भिक चरण में इसका पता लगने पर इलाज़ किया जा सकता है।
- हैदराबाद स्थित नेहरू ज़ूलॉजिकल पार्क में व्हाइट बंगाल टाइगर्स की कैप्टिव ब्रीडिंग कराई जा रही है, जहाँ एक बाघ की ‘नियोप्लास्टिक ट्यूमर’ के कारण मौत हो गई थी। फिलहाल यह बीमारी सिर्फ नर बाघों को ही प्रभावित कर रही है तथा इससे पीड़ित बाघों के बच्चों में से एक बच्चा अपने जीवनकाल में इस बीमारी से निश्चित रूप से प्रभावित होता है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1958 में अंतिम बार जंगल में देखा गया व्हाइट बंगाल टाइगर आवास क्षरण व शिकार के चलते अब आई.यू.सी.एन. की सूची में संकटापन्न (Endangered) श्रेणी के अंतर्गत शामिल है।