नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किये जा रहे ‘निसार’ उपग्रह का पूरा नाम -- ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar : NISAR) है। इसे वर्ष 2022 में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक निकट-ध्रुवीय कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ‘सिंथेटिक एपर्चर रडार’ उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियों को प्राप्त करने और वस्तुओं के दो-आयामी चित्र या त्रि-आयामी संरचना बनाने के लिये प्रयुक्त एक तकनीक है। यह रडार मौसम, बादल, कोहरे या सूर्य की कम रोशनी और अंधेरे से अप्रभावित रहता है तथा सभी परिस्थितियों में डाटा एकत्र कर सकता है।
यह उपग्रह इमेजिंग के अपने तीन-वर्षीय मिशन के दौरान प्रत्येक 12 दिनों में पृथ्वी का अवलोकन (स्कैन) करेगा। भूमि, आइस शीट और समुद्री बर्फ की इमेजिंग द्वारा यह पृथ्वी पर होने वाली हलचल का अति सूक्ष्म स्तर तक पता लगाएगा।
इसके प्राथमिक लक्ष्यों में ज्वालामुखी उद्गार की चेतावनी, भूजल उपलब्धता की निगरानी में मदद और आइस शीट के पिघलने की दर को ट्रैक करना शामिल है। गौरतलब है कि निसार नासा द्वारा लांच किये गए अब तक के सबसे बड़े परावर्तक एंटीना से लैस होगा।
सितंबर 2014 में हुए समझौते के अनुसार, नासा इस उपग्रह के लिये एक रडार, वैज्ञानिक डाटा के लिये एक उच्च दर वाली संचार उप-प्रणाली, जी.पी.एस. रिसीवर और एक पेलोड डाटा सबसिस्टम प्रदान करेगा; जबकि इसरो, स्पेसक्राफ्ट बस, एस-बैंड रडार, लॉन्च वाहन और संबंधित लॉन्च सेवाएँ प्रदान करेगा।