‘नुआखाई जुहार’ फसल कटाई का एक कृषि त्योहार है, जिसे नुआखाई परब या नुआखाई भेटघाट भी कहा जाता है। यह एक अति प्राचीन त्योहार है, जो पश्चिमी ओडिशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में सीज़न की नई फसल का स्वागत करने के लिये मनाया जाता है।
- 'नुआखाई' दो शब्दों का संयोजन है, जो नए चावल खाने का संकेत देता है, क्योंकि 'नुआ' का अर्थ है नया और 'खाई' का अर्थ है खाना। इस दिन लोग अन्न की पूजा करते हैं और विशेष भोजन तैयार करते हैं।
- यह भाद्रपद माह (अगस्त-सितम्बर) के चंद्र पखवाड़े की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो गणेश चतुर्थी त्योहार के अगले दिन पड़ता है। ओडिशा के सम्बलपुर ज़िले की प्रसिद्ध ‘समलेश्वरी देवी’ को किसान अपनी भूमि की पहली उपज अर्पित करते हैं।
- इस दौरान ‘सम्बलपुरी नृत्य रूपों’, जैसे- रासरकेली, सजानी, नचनिया और दलखाई का भी प्रदर्शन किया जाता है। इस त्योहार से आदिवासी मूल और हिंदू रिवाज़ों- दोनों के तत्त्वों का पता चलता है। इसमें नौ अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। दिन के एक विशेष समय में इस त्योहार को मनाया जाता है, जिसे ‘लगन’ कहा जाता है।
- हाल ही में, इस त्योहार के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई देते हुए कहा है कि नुआखाई का विशेष त्योहार किसानों की मेहनत का जश्न मनाने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। ध्यातव्य है कि इसी प्रकार का एक त्योहार नबन्ना (Nabanna) पश्चिम बंगाल और तटीय ओडिशा के क्षेत्रों में मनाया जाता है।