अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति को नियंत्रित करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 'ऑपरेशन ट्विस्ट' शुरू किया गया है। यह एक प्रकार का मौद्रिक नीति उपकरण है, जिसका उद्देश्य दीर्घकालिक ब्याज दरों को कम कर दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देना है।
- इसके अंतर्गत, रिज़र्व बैंक खुले बाज़ार परिचालन (OMO) द्वारा अल्पकालिक प्रतिभूतियों को बेचकर आय प्राप्त करता है और इस आय का प्रयोग दीर्घावधि के सरकारी ऋणपत्रों को खरीदने के लिये करता है, अर्थात इसमें अल्पकालिक प्रतिभूतियों को दीर्घकालिक प्रतिभूतियों में परिवर्तित किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि रिज़र्व बैंक ने 27 अप्रैल, 2020 से 10 हज़ार करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री का निर्णय लिया है, जिसमें दीर्घकालिक प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि वर्ष 2026 तथा 2030 है।
- इसके द्वारा भूमि अथवा आवास की खरीद, बुनियादी ढाँचे तथा प्रतिभूतियों में निवेश जैसे दीर्घकालिक उद्यमों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में रोज़गार एवं उत्पादों की मांग में वृद्धि से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- ध्यातव्य है कि 'ऑपरेशन ट्विस्ट' सर्वप्रथम वर्ष 1961 में अमेरिका द्वारा डॉलर को मज़बूत करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिसम्बर 2019 में पहली बार इसका उपयोग किया गया था