हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने पहली बार हवाई स्थित जेम्स क्लर्क मैक्सवेल टेलीस्कोप (James Clerk Maxwell Telescope-JCMT) का उपयोग करते हुए शुक्र ग्रह पर फॉस्फीन गैस का पता लगाया और चिली स्थित अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलिमीटर एरे (Atacama Large Millimeter/submillimeter Array -ALMA) रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करके इसकी पुष्टि की गई। पृथ्वी से दूर किसी अन्य ग्रह पर जीवन की सम्भावना के लिये इस गैस को अभी तक का सबसे विश्वसनीय प्रमाण माना जा रहा है।
तीन हाइड्रोजन परमाणुओं व एक फास्फोरस परमाणु से मिलकर बनने वाली फॉस्फीन (PH3) रंगहीन, ज्वलनशील एवं अत्यधिक विषाक्त गैस है। ऐसा माना जाता है कि ऐसी चट्टानी जगहों पर यह केवल एक जैविक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न हो सकती है, किसी भी प्राकृतिक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से नहीं। ध्यातव्य है कि शुक्र ग्रह के वायुमंडल में फॉस्फीन की सांद्रता 20 भाग प्रति-बिलियन (parts-per-billion) पाई गई है।
यद्यपि शुक्र पर फॉस्फीन का पाया जाना आश्चर्यजनक है क्योंकि शुक्र की सतह और वहाँ का वातावरण ऑक्सीजन यौगिकों से समृद्ध है, जो तेज़ी से फॉस्फीन के साथ अभिक्रिया करके उसे आसानी से नष्ट कर सकते हैं।
कुछ औद्योगिक कार्यों के लिये फॉस्फीन गैर-जैविक रूप में भी उत्पन्न की जाती है। फ़ॉस्फ़ीन का कृषि फ्यूमिगेंट (agricultural fumigant) के रूप में उत्पादन किया जाता है तथा इसका उपयोग अर्धचालक उद्योग में किया जाता है, यह मेथ लैब का एक उप-उत्पाद भी है। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल किया गया था।
JCMT दुनिया की सबसे बड़ी खगोलीय दूरबीन है, जिसे विशेष रूप से स्पेक्ट्रम के सबमिलिमेट्री तरंगदैर्ध्य क्षेत्र में संचालित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। ALMA वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ी रेडियो दूरबीन है।