जलवायु परिवर्तन से ध्रुवीय क्षेत्र में ग्रीनहाउस गैसों के संकेंद्रण के कारण विश्व के शेष हिस्सों की तुलना में ध्रुवों पर अधिक तापीय परिवर्तन होता है, इस परिघटना को ‘ध्रुवीय प्रवर्धन’ कहा जाता है।
हिम-एल्बिडो प्रतिक्रिया, ह्रास दर प्रतिक्रिया, जल वाष्प प्रतिक्रिया और समुद्री ताप स्थानांतरण ध्रुवीय प्रवर्धन के प्राथमिक कारण हैं।
ये परिवर्तन दक्षिणी अक्षांश की तुलना में उत्तरी अक्षांशों पर अधिक स्पष्ट होते हैं, जिसे ‘आर्कटिक प्रवर्धन’ के रूप में जाना जाता है।
समुद्री बर्फ पिघलने से आर्कटिक महासागर सौर विकिरण अवशोषित करने में अधिक सक्षम होगा, जिससे आर्कटिक प्रवर्धन में और वृद्धि होगी।