हाल ही में, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) ने एक रिपोर्ट में पुन्नपरा-वायलार (Punnapra-Vayalar), करिवेल्लूर (Karivelloor) और कवुम्बयी (Kavumbayi) विद्रोहों के कम्युनिस्ट शहीदों को स्वतंत्रता संग्राम शहीदों की सूची से हटाने का सुझाव दिया है।
ICHR का कहना है, इन कम्युनिस्ट आंदोलनों को स्वतंत्रता संघर्ष का आंदोलन नहीं माना जा सकता क्योंकि यह आंदोलन जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्त्व में अंतरिम सरकार द्वारा सत्ता सम्भालने के पश्चात हुए थे। ये विद्रोह मूल रूप से तत्कालीन अंतरिम सरकार के खिलाफ थे।
ध्यातव्य है कि पुन्नपरा-वायलार एक संगठित श्रमिक विद्रोह था जो अक्तूबर 1946 में ब्रिटिश भारत में त्रावणकोर रियासत के प्रधानमंत्री सी. पी. रामास्वामी अय्यर तथा रियासत के विरुद्ध उपजा था।
यह विद्रोह अन्यायपूर्ण कराधान और शासन के शोषण के खिलाफ किया गया था। इसमें मज़दूर वर्ग तथा अन्य सभी श्रमिक वर्गों ने वर्ग, धर्म जैसे सभी भेदों को भूलकर सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था।
इस विद्रोह के फलस्वरूप, क्षेत्र में स्वतंत्र त्रावणकोर के रूप में लोकतंत्र की स्थापना हुई और राज्य की राजनीति को एक निर्णायक मोड़ मिला।