तमिल कैलेंडर के अनुसार चिथिराई माह के पहले दिन को पुथंडु कहा जाता है, जिसे तमिल नव वर्ष के रूप में जाना जाता है। यह उत्सव ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 14 अप्रैल को मनाया जाता है। पुथंडु का उद्भव चोल शासनकाल से माना जाता है।
यह तमिलनाडु के साथ-साथ श्रीलंका और मलेशिया के कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक समारोहों, दावतों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण शुरू किया था और भगवान इंद्र शांति सुनिश्चित करने के लिये पृथ्वी पर आए थे।
इस दिन तमिल लोग नववर्ष की शुभकामनाओं को पुत्तु वट्टुका या इया पुत्तु नलवत्तुका कहते हैं। तमिलनाडु में मंगई पचड़ी नामक व्यंजन बनाया जाता है जिसका सेवन जीवन में सद्भावना और संतुलन का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन मदुरै के मीनाक्षी मंदिर में चित्तिरई थिरुविज़ा मनाया जाता है जो देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर के राज्याभिषेक का एक जश्न है।