रीजेंट हनीईटर, दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली, गीतगाने वाले पक्षियों की एक प्रजाति है। पारिस्थिकी विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रजाति के कुछ पक्षी पिछले कुछ समय से अपने गीत गाने की बजाय अन्य प्रजातियों, जैसे फ्रायरबर्ड्स (friarbirds) और कुक्कूश्राइक्स (cuckooshrikes) आदि के गीत गा रहे हैं।
यह बात विशेष इसलिये है क्योंकि यदि नर पक्षी सही गीत नहीं गाएगा तो मादा उसकी तरफ आकर्षित नहीं होगी, जिससे भविष्य में इन दोनों के सहवास में समस्या उत्पन्न हो सकती है, फलस्वरूप इनकी संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इन पक्षियों की संख्या मात्र 300 के करीब ही है।
ऐसा अनुमान है कि अधिवास की क्षति के चलते इस प्रजाति के युवा नर अपने समूहों में बड़े न होकर भिन्न या ग़लत समूहों में बड़े हो रहे हैं, जिससे वे अपना गीत नहीं सीख पा रहे।
ध्यातव्य है कि इस पक्षी पर पीले रंग की धारी पाई जाती है, जो फ्राइजिया साम्राज्य (1200-700 ई.पू.) के दौरान प्रसिद्ध सोने की कढ़ाई के समान प्रतीत होती है। इस वजह से इसका जंतु-वैज्ञानिक नाम ‘एंथोशेरा फ्राइजिया’ (Anthochaera phrygia) रखा गया है। रीजेंट हनीईटर को आई.यू.सी.एन. की रेडलिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षी की श्रेणी में रखा गया है।