सिंगापुर के वैज्ञानिक ‘रोबो-प्लांट’ तकनीक पर कार्य कर रहे हैं, जिसे ‘प्रकृति और प्रौद्योगिकी’ का संगम कहा जा रहा है। इसके लिये उन्होंने ‘थर्मोजेल’ का प्रयोग करके वीनस फ्लाईट्रैप (एक कीटभक्षी पादप) की सतह पर फिल्म के सदृश्य अत्यंत सूक्ष्म व मुलायम इलेक्ट्रोड लगाया है। ‘थर्मोजेल’ कम तापमान पर तरल अवस्था में होते हैं, किंतु कमरे के तापमान पर जेल में बदल जाते है।
ये इलेक्ट्रोड पौधों से प्राकृतिक रूप से मुक्त होने वाले अत्यंत मंद विद्युत संकेतों का अधिक सटीकता से पता लगा सकते है, जो भविष्य में प्रारंभिक अवस्था में ही फसलों में होने वाली बीमारियों और उनके स्वास्थ्य का पता लगाने में सक्षम होंगे। इस प्रकार, वैज्ञानिकों ने वनस्पतियों के साथ संचार के लिये एक उच्च तकनीकी प्रणाली विकसित की है, जो स्मार्ट फोन एप्लीकेशन का प्रयोग कर पौधों की निगरानी करने में सहायक है।
यह तकनीक फसलों को जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना करने में उपयोगी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पौधों में रसायन, प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण, आर्द्रता, तापमान, ऑक्सीजन स्तर के साथ-साथ परजीवी संक्रमण, ध्वनि और स्पर्श के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है।
विदित है कि वर्ष 2016 में ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ की एक टीम ने पालक के पत्तों (Spinach Leaves) को सेंसर में बदल दिया था, जो भूजल में विस्फोटक सामग्री का पता लगाने पर ई-मेल अलर्ट भेज सकते हैं।