‘तच्ची-ए-गर्द शिकार’ कश्मीर में मछली पकड़ने का एक पारंपरिक तरीका है, जिसको ‘शैडो फिशिंग’ के नाम से भी जाना जाता है। यह विधि विशेष रूप से श्रीनगर के सौरा क्षेत्र (Soura Area) में स्थित अंचार झील (Anchar Lake) से संबंधित है। अंचार झील एक चैनल के माध्यम से डल झील से जुड़ी है।
इसमें मछुवारे मछभाले (Harpoon- नुकीले सिरे वाला एक लंबा व पतला औजार) को लेकर लकड़ी की नावों के एक छोर पर कपड़े या अस्थायी छतरियों के नीचे छिप जाते हैं। इसकी परछाई से पानी की सतह पर बनने वाली छाया मछलियों को आकर्षित करती है, जिससे मछलियों का शिकार करना आसान हो जाता है।
मछली पकड़ने की इस तकनीक का प्रयोग प्रायः सर्दियों के दौरान किया जाता है क्योंकि इस समय मछलियाँ ठंड के कारण पानी की सतह के नीचे रहती हैं किंतु भोजन की तलाश में छाया की दिशा में चली जाती हैं। मछली पकड़ने का यह तरीका बीसवीं सदी की शुरुआत से डोगरा शासन के समय से प्रचलित है।
उल्लेखनीय है कि डल झील और आस-पास के क्षेत्रों में प्रयोग में लाई जाने वाली लकड़ी की नावों को ‘शिकारा’ कहा जाता है, जो प्राय: देवदार की लकड़ी से निर्मित होती हैं।