सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्ज़र्वेटरी (Solar and Heliospheric Observatory - SOHO), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा की एक संयुक्त परियोजना है, इसके द्वारा सूर्य का अध्ययन किया जा रहा है। इसे 2 दिसम्बर, 1995 को प्रक्षेपित किया गया था।
उद्देश्य:
‘सोहो’ का निर्माण सूर्य से जुड़ी मूलभूत जानकारियों को प्राप्त करने के लिये किया गया था जो इस प्रकार हैं-
- सूर्य की आंतरिक संरचना और इसके विभिन्न आयामों का पता लगाना।
- सूर्य में कोरोना की उपस्थिति एवं 1000,000 डिग्री सेल्सियस जैसे उच्च तापमान तक गर्म होने का कारण।
- सौर पवन कहाँ और कैसे उत्पन्न होती है?
- सोहो अंतरिक्षयान का निर्माण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की अगुवाई में किया गया था, इसके प्रक्षेपण एवं मिशन संचालन की ज़िम्मेदारी ‘नासा’ की थी।
- सोहो को पृथ्वी-सूर्य के कक्षीय तल L1 बिंदु के पास स्थापित किया गया है जो कि गुरुत्वाकर्षण संतुलन का एक क्षेत्र है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भी सूर्य का अध्ययन करने के लिये इसी बिंदु (L1) पर अपना अंतरिक्षयान भेजने की योजना बनाई है, जिस कारण यह चर्चा में रहा। इसरो ने इस मिशन को आदित्य L1 मिशन नाम दिया है जो सूर्य का अध्ययन करने के लिये भारत का पहला वैज्ञानिक अभियान है।
- ‘सोहो’ पहला त्रि-अक्षीय-स्थिरता वाला अंतरिक्षयान है जो कि वर्चुअल जायरोस्कोप के सामान है। इसके द्वारा यह अपनी स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है।
- अंतरिक्ष में इसके 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं तथा इसे वर्ष 2022 तक बढ़ाने की सम्भावना है।
Note : जायरोस्कोप एक उपकरण है जिसका उपयोग अभिविन्यास को बनाए रखने और कोणीय वेग को मापने के लिये किया जाता है। यह चरखा या डिस्क के सामान है। जिसमें परिक्रमण धुरी (Spin axis) किसी भी अभिविन्यास को ग्रहण करने में सक्षम है।