तमिलनाडु के पश्चिमी घाट वाले क्षेत्र में एक नई सर्प प्रजाति 'ज़ाइलोफिस दीपकी' की खोज की गई है। इसका नामकरण भारतीय सरीसृप विज्ञानवेत्ता दीपक वीरप्पन के सम्मान में किया गया है, जिन्होंने वुड स्नेक (Wood snakes) को समायोजित करने के लिये इसके एक नए उप-वर्ग 'ज़ाइलोफिइनाए' (Xylophiinae) के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
यह इंद्रधनुष की भाँति चमकीली त्वचा वाला 20 सेमी. लंबा वुड स्नेक है। सबसे पहले इसे कन्याकुमारी में नारियल के खेतों में देखा गया था। यह तमिलनाडु की एक स्थानिक प्रजाति है।
शुरुआती चरण में इसे 'एक्स. कैप्टेनी' (X. captaini) प्रजाति का सर्प समझा गया, किंतु विस्तृत अध्ययन के उपरांत इसका पता लगा कि यह एक्स. कैप्टेनी की करीबी किंतु भिन्न प्रजाति है। वुड स्नेक के करीबी कुल की अन्य प्रजातियाँ पूर्वोत्तर भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती हैं, जिन्हें 'ऑर्बोरियल' (Orboreal) कहा जाता है।
वुड स्नेक हानिरहित, ज़मीन के नीचे खोदकर रहने वाली प्रजातियों के उपवर्ग के जीव हैं। ये प्रायः पश्चिमी घाट के जंगलों में लकड़ी के लट्ठों के नीचे या खेतों में पाए जाते हैं। इनका आहार केंचुए तथा अन्य कशेरुकी जीव हैं। 'ज़ाइलोफिस दीपकी' को जोड़कर अब वुड स्नेक की प्रजातियों की संख्या 5 हो गई है।