हाल ही में, योंगले ब्लू होल में 8000 वर्ष पुराने कार्बन के निक्षेप मिले हैं। कार्बन का पाया जाना कार्बन-चक्र तथा समुद्री पारिस्थिकी तंत्र के अध्ययन में सहायता प्रदान करेगा।
- ध्यातव्य है कि योंगले ब्लू होल, दुनिया का सबसे गहरा ब्लू होल है। यह दक्षिणी चीन सागर के ज़ीशा द्वीप (हैनान प्रांत में सांशा शहर के समीप) अवस्थित है, इसे ड्रैगन होल भी कहते हैं।
- इसकी गहराई लगभग 300 मी. है। इससे पूर्व डीन ब्लू होल (बहामास) सबसे गहरा ब्लू होल था, जिसकी गहराई लगभग 202 मी. है।
ब्लू होल
- ब्लू होल मूलतः कार्बोनेट चट्टानों के विघटन से बनते हैं। विघटन के बाद बने गड्ढों में पानी भर जाता है, जिन्हें ब्लू होल कहते हैं। यह विघटन अमूमन समुद्र स्तर के घटने या बढ़ने से होता है।
- ब्लू होल मुख्यतःएक प्रकार की समुद्री गुफा (Cavern) होते हैं, लेकिन यह अन्य समुद्री गुफाओं या गड्ढों से भिन्न होते हैं। ये समुद्र के पानी से विलग होते हैं तथा वर्षा से इन्हें थोड़ा-बहुत ताज़ा जल प्राप्त होता है। यह स्थिति इन्हें ऑक्सीजनरहित समुद्री पारिस्थितिकी के अध्ययन हेतु विशेष बनाती है।
- आमतौर पर ब्लू होल सतह पर खुले एवं गोलाकार होते हैं, इनकी दीवारें खड़ी (steep) होती हैं।
- ब्लू होल मूलतः अनॉक्सी होते हैं क्योंकि एक निश्चित गहराई के नीचे इनमें घुली ऑक्सीजन या तो बहुत कम या फिर अनुपस्थित होती है। ध्यातव्य है कि अनॉक्सी या अवायवीय वातावरण समुद्री जीवन के प्रतिकूल होता है।