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पिन कोड के 50 वर्ष पूरे 

चर्चा में क्यों

आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के साथ ही 15 अगस्त, 2022 को पोस्टल इंडेक्स नंबर (Postal Index Number : PIN) कोड के भी 50 वर्ष पूरे हो गए। इसे 15 अगस्त, 1972 को पेश किया गया था। 

प्रमुख बिंदु 

  • भारत में पिन कोड को मेल छँटाई और डिलीवरी की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिये लागू किया गया था, जहाँ विभिन्न स्थानों के नाम प्राय: एक जैसे होते हैं और पत्र विभिन्न भाषाओं में लिखे जाते हैं। 
  • पिन कोड छह अंकों का होता है जिसमें पहला अंक डाक क्षेत्र का, दूसरा अंक उप-क्षेत्र का और तीसरा अंक छँटाई जिले (Sorting District) का प्रतिनिधित्व करता है। शेष अंक भौगोलिक अवस्थिति को और विशिष्ट डाकघर तक डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। 
  • भारत में पिन कोड की पहल का श्रेय केंद्रीय संचार मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव और डाक व टेलीग्राफ बोर्ड के पूर्व वरिष्ठ सदस्य श्रीराम भीकाजी वेलंकर को जाता है, जो संस्कृत भाषा के प्रख्यात कवि भी थे। 
  • विश्व स्तर पर अमेरिका ने वर्ष 1963 में ज़ोन इम्प्रूवमेंट प्लान (Zone Improvement Plan : ZIP) कोड, ब्रिटेन ने 1960 के दशक में अल्फ़ान्यूमेरिक पोस्टल कोड तथा जापान ने 1968 में अपने पोस्टल कोड एड्रेस सिस्टम की शुरुआत की।
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