हाल ही में जारी रिपोर्ट “The Arctic’s Plastic Crisis: Toxic Threats to Health, Human Rights, and Indigenous Lands from the Petrochemical Industry” में दो प्रमुख पर्यावरण संगठनों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है।
ये संगठन हैं –
Alaska Community Action on Toxics (ACAT)
International Pollutants Elimination Network (IPEN)
रिपोर्ट में एक कम ज्ञात लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया पर प्रकाश डाला गया है जिसे ग्रासहॉपर इफेक्ट (Grasshopper Effect) या वैश्विक आसवन (Global Distillation) कहा जाता है।
यह प्रक्रिया विषैले प्रदूषकों को औद्योगिक क्षेत्रों से दूर-दराज़ के क्षेत्रों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इसके परिणामस्वरूप, आर्कटिक जैसे नाजुक पारिस्थितिक तंत्रदुनिया के अन्य हिस्सों से उत्सर्जित रसायनों के अनपेक्षित गंतव्य बन जाते हैं।
ग्रासहॉपर इफेक्ट क्या है?
ग्रासहॉपर इफेक्ट उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें स्थायी जैविक प्रदूषक (Persistent Organic Pollutants – POPs) और अन्य विषैले रसायन गर्म क्षेत्रों से ठंडे क्षेत्रों (विशेषकर आर्कटिक) की ओर वाष्पीकरण, वायुमंडलीय परिवहन और संघनन के चक्रों के माध्यम से पहुंचते हैं।
प्रक्रिया तंत्र (Mechanism):
गर्म क्षेत्रों में वाष्पीकरण: कृषि, उद्योगों और प्लास्टिक निर्माण में प्रयुक्त रसायन जैसे कीटनाशक, डाइऑक्सिन्स, PCB, PAH गर्म तापमान के कारण वाष्पित हो जाते हैं।
वायुमंडलीय और समुद्री परिवहन: ये वाष्पशील रसायन वायु और जल धाराओं के माध्यम से उच्च अक्षांशों (जैसे आर्कटिक) की ओर ले जाए जाते हैं।
ठंडे क्षेत्रों में संघनन:जैसे ही ये रसायन ठंडे क्षेत्रों में पहुँचते हैं, वे संघनित होकर बारिश, बर्फ या प्रत्यक्ष जमाव द्वारा सतह पर गिरते हैं।
चक्र की पुनरावृत्ति: यह प्रक्रिया कई चरणों में दोहराई जा सकती है, जिससे ये प्रदूषक एक स्थान से दूसरे स्थान पर "उछलते" या "कूदते" हैं — इसी से नाम पड़ा Grasshopper।
आर्कटिक – एक विषाक्त सिंक: यह प्रक्रिया आर्कटिक को एक hemispheric sink बना देती है – एक ऐसा अंतिम गंतव्य जहाँ ये प्रदूषक जमा होते हैं, भले ही उनका स्रोत कहीं और हो।
आर्कटिक क्यों प्रभावित होता है?
दूरस्थ और कम औद्योगिक गतिविधियों के बावजूद, आर्कटिक पर वैश्विक प्रदूषण का गंभीर प्रभाव पड़ता है:
ठंडा संघनन जाल (Cold Condensation Trap):ठंडी जलवायु में रसायन अधिक स्थिर होते हैं और अधिक मात्रा में जमा होते हैं।
कम अपघटन:कम तापमान रसायनों के विघटन को धीमा कर देता है, जिससे वे लंबे समय तक बने रहते हैं।
समुद्री और वायुमंडलीय धाराएँ:आर्कटिक प्रशांत और अटलांटिक महासागरों की प्रदूषण धाराओं के 'डाउनस्ट्रीम' में है।
प्रमुख रसायन जो ग्रासहॉपर इफेक्ट के ज़रिए जमा हो रहे हैं:
PAHs (पॉलीअरोमैटिक हाइड्रोकार्बन):जीवाश्म ईंधन के दहन और औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलते हैं; कैंसर और हृदय रोग से जुड़े हैं।
बिसफिनोल (BPA):प्लास्टिक निर्माण में प्रयुक्त; हार्मोन गड़बड़ी और प्रजनन कैंसर से जुड़ा।
फ्थैलेट्स:प्लास्टिक को नरम बनाने वाले रसायन; प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
PFAS (पॉली-और परफ्लोरोएल्काइल पदार्थ):“फॉरएवर केमिकल्स” जो नॉन-स्टिक बर्तन और औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग होते हैं; भोजन श्रृंखला में जमा होते हैं और अपघटन से बचते हैं।
डाइऑक्सिन्स और फ्यूरान्स:अत्यंत विषैले और कैंसरजन्य प्रदूषक।
आर्कटिक समुदायों पर प्रभाव:
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:
इनुइट जैसे आदिवासी समुदायों की पारंपरिक भोजन श्रृंखला (मछली, सील, व्हेल) इन रसायनों से दूषित हो रही है।
ये प्रदूषक जैव संचयन (bioaccumulate) और जैव प्रवर्धन (biomagnify) के ज़रिए शीर्ष पर स्थित जीवों और अंततः मानव शरीर में अत्यधिक मात्रा में पहुँचते हैं।
बीमारियाँ जो देखी गई हैं:
कैंसर
हार्मोन असंतुलन
हृदय रोग
बच्चों में न्यूरोलॉजिकल और विकास संबंधी विकार
मानव अधिकारों का उल्लंघन:
यह प्रदूषण आर्कटिक आदिवासियों के स्वास्थ्य, भोजन, जल और सांस्कृतिक पहचान के अधिकारको कमजोर करता है।
मां के दूध, भोजन और पानी में पाए जाने वाले प्रदूषक पर्यावरणीय अन्याय (environmental injustice)का उदाहरण हैं।
वैश्विक महत्व:
ग्रासहॉपर इफेक्ट यह दर्शाता है किप्रदूषण की कोई सीमाएं नहीं होतीं।
दूरस्थ क्षेत्र भी अन्य महाद्वीपों की औद्योगिक गतिविधियों से प्रभावित होते हैं।
आवश्यक कदम:
स्टॉकहोम कन्वेंशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय रसायन समझौतों को मजबूत बनाना
रासायनिक उत्पादन और कचरा प्रबंधनमें वैश्विक जवाबदेही
गैर-विषाक्त और टिकाऊ सामग्रीकी ओर संक्रमण — विशेषकर प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों में
आर्थिक सर्वेक्षण एवं नीति प्रासंगिकता (भारत व वैश्विक):
भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2023–24 में ग्रासहॉपर इफेक्ट का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, लेकिन यह ज़ोर देता है:
वैश्विक पर्यावरणीय उत्तरदायित्व की आवश्यकता
प्लास्टिक कचरे और खतरनाक रसायनों का प्रबंधन
रसायनों और कचरे के वैश्विक प्रबंधन ढांचे में भारत की भूमिका
GAHP (Global Alliance on Health and Pollution) में भारत का योगदान
यह विषय भारत की अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय नीतिके लिए महत्वपूर्ण बनता है, विशेषकर LiFE अभियान और Mission LiFE के संदर्भ में।