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नमामि गंगे योजना

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – नमामि गंगे योजना
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी योजनाएं 

योजना का नाम 

नमामि गंगे योजना

आरंभ 

2014 

लक्ष्य 

गंगा नदी के प्रदूषण को कम करके गंगा नदी को पुनर्जीवित करना 

नोडल मंत्रालय 

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय

क्रियान्वयन क्षेत्र 

8 राज्य / संघ राज्य क्षेत्र, 47 कस्बे और 12 नदियाँ

आधिकारिक बेवसाइट 

nmcg.nic.in

नमामि गंगे योजना के उद्देश्य

  • गंगा नदी को व्यापक रूप से स्वच्छ और संरक्षित करना।
  • गंगा नदी के जलीय जीवन एवं जैव विविधता का संरक्षण करना। 
  • गंगा नदी की मुख्य धारा के तट पर स्थित गांवों का विकास सुनिश्चित करना।
  • मिशन के 8 प्रमुख स्तंभ हैं -
    • सीवरेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर 
    • रिवरफ्रंट डेवलपमेंट 
    • नदी-सतह की सफाई 
    • जैव विविधता 
    • वनीकरण 
    • जन जागरूकता 
    • औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी 
    • गंगा ग्राम की स्थापना 

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महत्वपूर्ण विशेषताएं 

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
  • इसका क्रियान्वयन, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा किया जा रहा है। 
  • चाचा चौधरी को नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए शुभंकर घोषित किया गया। 
  • विश्व बैंक ने गंगा नदी बेसिन में प्रदूषण को कम करने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित करने के लिए पांच वर्ष के लिए 3,000 करोड़ के ऋण को मंजूरी प्रदान की।
  • इसके कार्यान्वयन को तीन स्तरों में विभाजित किया गया है। 
    • प्रवेश-स्तर की गतिविधियाँ (तत्काल दिखने वाले प्रभाव के लिए)
    • मध्यम अवधि की गतिविधियाँ (5 वर्ष की समय सीमा के अंदर लागू करने के लिए)
    • दीर्घकालिक गतिविधियाँ (10 वर्ष के समय सीमा अंदर लागू करने के लिए) 
  • नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सीवरेज प्रबंधन और अन्य गतिविधियों के अतिरिक्त अब ध्यान अर्थ गंगा पर है, जिसका 2019 में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में प्रधानमंत्री ने अनुमोदन किया था। 
    • अर्थ गंगा मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था के जरिए नदी से लोगों को जोड़ना है।
  • नमामि गंगे कार्यक्रम को लागू करने के लिए, परियोजना की निगरानी के लिए एक त्रि-स्तरीय तंत्र प्रस्तावित किया गया है जिसमें शामिल हैं -
    • कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एनएमसीजी द्वारा सहायता प्राप्त एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स
    • मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय समिति
    • जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति

nmcg

नमामि गंगे योजना का महत्व

  • गंगा नदी, देश की लगभग 43% आबादी के भरण-पोषण का केंद्र है। यह कृषि, मत्स्य पालन में सहायता करती है। 
  • बढ़ते शहरीकरण के साथ, नदी के प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि हुई है। 
  • गंगा बेसिन के साथ उत्पन्न होने वाले सीवेज का केवल एक-तिहाई ही उपचारित किया जाता है।  
  • गंगा में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के अप्रतिबंधित प्रवाह ने इसकी "निर्मलता" (पवित्रता) पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
  • नदी में बहने वाले लगभग 20% जहरीले प्रदूषक उद्योगों से आते हैं।
  • प्रदूषण के अन्य स्रोतों में कृषि अपवाह, पशु शव, पुष्प प्रसाद, प्लास्टिक कचरा और नदी के किनारे खुले में शौच शामिल हैं।
  • इसने जल जनित रोगों जैसे हैजा, टाइफाइड के प्रसार में वृद्धि और स्वच्छ पेयजल की भारी कमी को जन्म दिया है।
  • गंगा नदी, ऊपरी मार्ग में बांधों के निर्माण से प्रेरित पारिस्थितिक परिवर्तनों से गुजर रही है जिसने नदी की धारा के प्रवाह को प्रतिबंधित कर दिया है।
  • नदी के किनारे अवैध रेत खनन से नदी की पारिस्थितिकी को भी नुकसान होता है, इससे नदी की वहन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यह बाढ़ के लिए प्रवण हो जाती है।
  • नमामि गंगे एक नदी-बेसिन दृष्टिकोण प्रदान करता है जो बेसिन राज्यों को नदी की सफाई में सहयोग करने की अनुमति देता है।

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत प्रमुख उपलब्धियां

सीवरेज उपचार क्षमता 

  • एनएमसीजी के अधिकारियों ने नियमित रूप से सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का निरीक्षण किया और जहां भी आवश्यक था अधिकारियों को नोटिस/निर्देश जारी किए।
  • एनएमसीजी ने नदी तटों पर खनन गतिविधियों को विनियमित करने, अतिक्रमण पर रोक लगाने और मूर्तियों के विसर्जन जैसी गतिविधियों को विनियमित करने के निर्देश भी जारी किए।
  • एनएमसीजी ने उपग्रह इमेजरी, रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक समाधान जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया जिससे गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषकों की वास्तविक समय निगरानी की सुविधा मिली।
  •  नए सीवेज उपचार बुनियादी ढांचे को डिजाइन करने के लिए वैज्ञानिक पूर्वानुमान मॉडल का प्रयोग किया गया।
  • सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और संस्कारों में गंगा की केंद्रीय भूमिका को देखते हुए अब तक 123 घाटों और 36 श्मशान घाटों का निर्माण किया जा चुका है, जबकि हरिद्वार के चंडीघाट में गंगा अवलोकन संग्रहालय स्थापित किया गया है।

नदी की सतह की सफाई

  • घाटों और नदी की सतह पर तैरने वाले ठोस कचरे के संग्रह के लिए नदी की सतह की सफाई और इसके निपटान का कार्य चल रहा है 

जैव विविधता संरक्षण

  • नमामि गंगे योजना के अंतर्गत, विभिन्न जैव-विविधता संरक्षण परियोजनाएं शुरू की गयी है - जैव विविधता संरक्षण और गंगा कायाकल्प, गंगा नदी में मछली और मत्स्य संरक्षण, गंगा नदी डॉल्फिन संरक्षण शिक्षा कार्यक्रम आदि।
  • देहरादून, नरौरा, इलाहाबाद, वाराणसी और बैरकपुर में 5 जैव-विविधता केंद्र स्थापित किए गए हैं।

जन जागरण

  • नदी की सफाई में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, गंगा के किनारे के शहरों, कस्बों और गांवों में "गंगा प्रहरियों" नामक एक नव-स्थापित सामुदायिक बल के माध्यम से नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
  • इनके माध्यम से, सरकार "जल चेतना" को "जन चेतना" में बदलकर इसे "जल आन्दोलन" में बदलना चाहती है।
  • रैलियों, अभियानों, प्रदर्शनियों, श्रम दान, स्वच्छता अभियान, प्रतियोगिताओं, वृक्षारोपण अभियान और संसाधन सामग्री के विकास और वितरण के माध्यम से विभिन्न जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है 
  • व्यापक प्रचार के लिए टीवी/रेडियो, प्रिंट मीडिया विज्ञापन जैसे माध्यमों का प्रयोग किया जा रहा है।

औद्योगिक प्रवाह निगरानी

  • 760 अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) में से 572 में रीयल-टाइम एफ्लुएंट मॉनिटरिंग स्टेशन (ईएमएस) स्थापित किए गए हैं।
  • अब तक 135 जीपीआई को बंद करने के नोटिस जारी किए गए हैं और अन्य को निर्धारित मानदंडों के अनुपालन और ऑनलाइन ईएमएस की स्थापना के लिए समय सीमा दी गई है।

गंगा ग्राम

  • गंगा बेसिन राज्यों की 1674 ग्राम पंचायतों में शौचालयों के निर्माण के लिए पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय (MoDWS) को 578 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 
  • लक्षित 15,27,105 इकाइयों में से पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने 8,53,397 शौचालयों का निर्माण पूरा कर लिया है।

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