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IMPORTANT TERMINOLOGY

पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों की पारिभाषिक शब्दावलियों एवं देश-दुनिया में चर्चा में रही शब्दावलियों से परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह खंड वस्तुनिष्ठ और लिखित दोनों परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। शब्दावलियों से परिचय अभ्यर्थियों को कम परिश्रम से अधिक अंक लाने में मदद करता है। इस खंड में प्रतिदिन एक महत्वपूर्ण शब्दावली से परिचय कराया जाता है।

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1. फर्टीगेशन (Fertigation)

05-Mar-2021

फर्टिगेशन शब्द फर्टिलाइजर और इर्रिगेशन से मिलकर बना है। यह खेतों में उर्वरक डालने की सर्वोत्तम तथा अत्याधुनिक विधि है। इस विधि में ड्रिप सिंचाई द्वारा जल के साथ-साथ उर्वरकों को भी पौधों तक पहुँचाया जाता है। इससे पौधों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिल जाते हैं और उर्वरकों का अपव्यय भी नहीं होता है।

2. साइबर कूटनीति (Cyber diplomacy)

04-Mar-2021

राष्ट्रों द्वारा साइबर सुरक्षा, इंटरनेट गवर्नेंस, इसके सैन्य उपयोग तथा इंटरनेट से जुड़े विभिन्न नवाचारों के कूटनीतिक और आर्थिक अनुप्रयोगों को साइबर कूटनीति कहते हैं।

3. शेंजेन क्षेत्र (Schengen Area)

03-Mar-2021

यूरोप के पासपोर्ट–मुक्त क्षेत्र को शेंजेन कहते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा वीज़ा–मुक्त यात्रा क्षेत्र है। 14 जून, 1985 को हुए शेंजेन समझौते द्वारा अस्तित्व में आया यह क्षेत्र यूरोपीय संघ के 26 देशों का ऐसा समूह है, जिन्होंने आधिकारिक रूप से अपने नागरिकों के लिये पासपोर्ट और अन्य सभी प्रकार के सीमा नियंत्रण को समाप्त कर दिया है। इनका संचालन एकल राष्ट्र की तरह होता है। शेंजेन नियमों को वर्ष 1999 में एम्स्टर्डम समझौते द्वारा यूरोपीय संघ (EU) के क़ानून में शामिल किया गया था।

4. नीला ज्वार या जैव संदीप्ति (Blue Tide or Bioluminescence)

02-Mar-2021

समुद्री लहरों की हलचल द्वारा पादप प्लवकों (सूक्ष्म समुद्री पादपों), डायनोफ्लैजिलेट्स (Dinoflagellates) के अंदर स्थित प्रोटीन में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं की वजह से नीले प्रकाश का उत्सर्जन होता है। जिसे नीला ज्वार या जैव-संदीप्‍ति कहा जाता है।

5. मियावाकी पद्धति (Miyawaki Method)

01-Mar-2021

वनरोपण की इस पद्धति की खोज 'अकीरा मियावाकी' नामक जापानी वनस्पतिशास्त्री ने की थी। इसके अंतर्गत, सघन पौधारोपण किया जाता है, जिससे पौधों पर मौसम की मार का विशेष असर नहीं पड़ता और गर्मियों के दिनों में भी पौधों के पत्ते हरे बने रहते हैं। कम स्थान में अधिक संख्या में लगे पौधे एक ऑक्सीजन बैंक की तरह कार्य करते हैं, साथ ही वर्षा को आकर्षित करने में भी सहायक होते हैं। एक प्राकृतिक वन को विकसित होने में सामान्यतः 100 वर्ष का समय लगता है, किंतु मियावाकी पद्धति में पौधों को सूर्य के प्रकाश के लिये प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, अतः 20-25 वर्षों में ही परिणाम प्राप्त होने लगते हैं।

6. करोशी(Karoshi)

27-Feb-2021

कार्य के अत्यधिक दबाव के कारण होने वाली मृत्यु को जापान में करोशी कहते हैं। जापान में अत्यधिक कार्यावधि होने के कारण नौकरीपेशा लोग अक्सर अपने लिये गुणवत्तापूर्ण समय नहीं निकाल पाते और एकाकी मृत्यु के शिकार होते हैं।

7. हिकिकोमोरी ( Hikikomori )

26-Feb-2021

वर्तमान में, जापान में आत्म-अलगाव (self-isolation) की संस्कृति का प्रचलन बढ़ रहा है, यहाँ लगभग एक मिलियन लोग बाहरी दुनिया से संपर्कविहीन हैं। वे वर्षों तक पूर्णतः आत्म-आरोपित कारावास (self-imposed confinement) में रहते हैं। इन आधुनिक एकांतवासियों को 'हिकिकोमोरी' कहा जाता है

8. सामाजिक रचनावाद (Social constructivism)

25-Feb-2021

वह परिप्रेक्ष्य जो वास्तविकता की व्याख्या करते समय प्रकृति की तुलना में समाज पर अधिक बल देता है। यह जीव विज्ञान और प्रकृति से इतर सामाजिक संबंधों, मूल्यों और अंतःक्रियाओं को वास्तविकता का अर्थ तथा विषय-वस्तु निर्धारित करने में निर्णायक मनाता है। उदाहरणस्वरूप, सामजिक रचनावाद का विश्वास है कि लिंग, बुढ़ापा, अकाल आदि स्थितियाँ भौतिक या प्राकृतिक होने की बजाय सामाजिक अधिक हैं।

9. नेम्स (NEMS)

24-Feb-2021

नेम्स, नैनो विद्युत-यांत्रिकीय प्रणाली अथवा नैनो इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम्स का संक्षिप्त रूप है। नैनो स्तर पर बेहद सूक्ष्म मशीनों से संबंधित विज्ञान ‘नेम्स’ कहलाता है। इसके अंतर्गत मशीनों के निर्माण में सिरेमिक, पॉलिमर तथा सूक्ष्म चुंबकीय पदार्थ आदि का प्रयोग किया जाता है।

10. ग्रे गू (Grey Goo)

23-Feb-2021

ग्रे गू शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वर्ष 1986 में एरिक ड्रेक्स्लर द्वारा पुस्तक ‘इंजिंस ऑफ़ क्रिएशन’ में किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी तरह के नियंत्रण से मुक्त तथा स्वयं की प्रतिलिपि बनाने में सक्षम नैनो मशीनें अथवा नैनो रोबोट जैविक एवं अजैविक पदार्थों को नैनो पदार्थों में परिवर्तित कर सकते हैं, इनके द्वारा निरंतर इस प्रक्रिया से जैवमंडल को गंभीर क्षति पहुँच सकती है।
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