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 आधार अधिनियम एवं निजता का अधिकार

प्रारंभिक परीक्षा – आधार अधिनियम (Aadhaar Act)
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 

संदर्भ 

कर्नाटक उच्च न्यायालय के अनुसार आधार अधिनियम, विवाह निजता के अधिकार पर ग्रहण (eclipse) नहीं लगाता है।

Aadhaar-Act

प्रमुख बिंदु 

  • अदालत ने कहा कि आधार अधिनियम में  आधार संख्या धारक की निजता के अधिकार को प्राथमिकता दी गई है और वैधानिक योजना के तहत कोई इसमें अपवाद नहीं है।
  • कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत अपने पति के आधार कार्ड के विवरण के लिए एक महिला के आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था।
  • भारत सरकार (यूआईडीएआई) और एफएए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने एक महिला को आधार कार्ड की जानकारी प्रदान करने के लिए उच्च न्यायालय की एकल सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी थी, महिला ने अपने पति के आधार की जानकारी मांगी थी। 
  • विवाह आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 33 के तहत प्रदत्त सुनवाई के प्रक्रियात्मक अधिकार को समाप्त नहीं करता है।
  • अदालत ने कहा कि शादी आधार अधिनियम की धारा 33 के तहत प्रदत्त सुनवाई के प्रक्रियात्मक अधिकार को समाप्त नहीं करती है।
  • इस पृष्ठभूमि में खंडपीठ ने एकल सदस्यीय पीठ को मामले पर नये सिरे से विचार करने का निर्देश दिया।

 पृष्ठभूमि

  • हुबली की रहने वाली एक महिला ने अपने पति के आधार कार्ड की जानकारी की अपील की थी क्योंकि पारिवारिक अदालत ने पति के खिलाफ मुकदमा दायर करने वाली महिला को 10,000 और बच्ची को 5,000 का भरण-पोषण देने का आदेश दिया था।
  • अदालत के आदेश को लागू नहीं किया गया क्योंकि पति का पता नहीं चल सका।
  • इस प्रकार महिला ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत यूआईडीएआई से संपर्क किया।
  • यूआईडीएआई ने 25 फरवरी 2021 को पत्नी के आवेदन को खारिज कर दिया और कहा कि पति के आधार कार्ड की जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है।
  • आधार एक्ट की धारा 33 के तहत हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही यूआईडीएआई आधार का खुलासा कर सकता है इस प्रयोजन हेतु  महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
  • कोर्ट ने पति को नोटिस जारी किया और 8 फरवरी 2023 को यूआईडीएआई (UIDAI) को महिला के आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया।
  • इस आदेश को चुनौती देते हुए यूआईडीएआई ने डिविजनल बेंच में अपील दायर की है, जिसमें कहा गया है कि आधार अधिनियम की धारा 33 (1) का पालन करना अनिवार्य है।
  • यूआईडीएआई ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हाईकोर्ट जज के आदेश के बाद ही जानकारी का खुलासा किया जा सकता है।
  • पत्नी की ओर से यह कहा गया था कि शादी के बाद पति-पत्नी की पहचान एक-दूसरे से जुड़ी रहती है इसलिए  जोड़े में से किसी एक को दूसरे का  जानकारी मांगने पर कोई आपत्ति नहीं है।
  • यह तर्क दिया गया कि जब तीसरा पक्ष जानकारी मांगता है तो प्रतिबंध लगाना उचित था इस मामले में यह प्रतिबंध लागू नहीं होता है।

आधार अधिनियम 2016 (Aadhaar Act 2016)

  • आधार अधिनियम विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से नागरिकों को सब्सिडी, लाभ, सेवाओं की एक कुशल, पारदर्शी एवं लक्षित डिलीवरी करता है।
  • आधार अधिनियम के तहत निवासी की बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय जानकारी सत्यापित की जाएगी जिसके बाद आधार संख्या जारी की जाएगी।
  • आधार संख्या बारह अंकों की होगी।
  • आधार संख्या जारी करने के लिए व्यक्ति को कम से कम 182 दिनों की अवधि के लिए भारत का निवासी होना चाहिए।
  • यह अधिनियम अपराधों के लिए अपराधियों को दंड प्रदान करता है।
  • इस अधिनियम में  प्राधिकरण  द्वारा जानकारी  प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया का उल्लेख है।
  • इसके अलावा अधिनियम प्राधिकरण को एकत्र की गई जानकारी और उसके उचित रिकॉर्ड एवं  रखरखाव की रक्षा करने के लिए बाध्य करता है।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. आधार अधिनियम विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से नागरिकों को सब्सिडी, लाभ और सेवाओं की एक कुशल, पारदर्शी और लक्षित डिलीवरी करता है।
  2.  विवाह आधार अधिनियम की धारा 33 के तहत प्रदत्त सुनवाई के प्रक्रियात्मक अधिकार को समाप्त करती है।
  3. आधार संख्या  बारह अंकों की होती है ।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक

(b) केवल दो 

(c) सभी तीनों 

(d) कोई भी नहीं 

उत्तर: (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: आधार अधिनियम एवं निजता का अधिकार में निहित मुद्दों की पहचान कीजिए।

स्रोत:the hindu

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