New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

मृदा संरक्षण पर बल

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ

22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के अवसर पर मृदा संरक्षण के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया गया। 

मृदा अवक्रमण में वृद्धि 

जनसंख्या वृद्धि 

  • बढ़ती मानव आबादी को खिलाने की मांग इस ग्रह पर जैव विविधता के नुकसान के लिए जिम्मेदार है। 
  • मानवता को बड़े पैमाने पर अकाल एवं भूख से होने वाली मौतों से बचने के लिए जंगलों को साफ करके बड़े पैमाने पर भूमि पर खेती करने की आवश्यकता थी। 
  • भूख के ख़िलाफ़ उस दौड़ में, कई प्रजातियाँ और आनुवंशिक विविधता खो गई है।

हरित क्रांति का प्रभाव 

  • उच्च उपज देने वाली किस्मों, सिंचाई, रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों पर आधारित हरित क्रांति ने मानवता की जरूरतों से अधिक भोजन का उत्पादन किया। 
  • कृषि एवं खाद्य संगठन के अनुसार, फसल से लेकर खुदरा बिक्री तक के चरण में भोजन की अधिक हानि और उपभोक्ता स्तर पर उच्च अपशिष्ट के कारण उत्पादित भोजन का 30%  अनुपयोगी हो जाता है। 

रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी

  • रासायनिक उर्वरकों विशेषकर यूरिया के उपयोग पर भारी सब्सिडी देने की नीति के कारण नाइट्रोजन (एन), फॉस्फेट (पी) और पोटाश (के) का उपयोग कम हो गया है। 
  • मृदा जैविक कार्बन (Soil Organic Carbon : SOC) का इष्टतम स्तर 1.5 से 2 % के बीच होना चाहिए। 
    • हालाँकि भारत के 60 % से अधिक मृदा में जैविक कार्बन की मात्रा  0.5 % से भी कम है। 

भूजल में निरंतर गिरावट 

  • भारत में भूजल की स्थिति भी चिंताजनक है  अधिकांश राज्यों में यह घट रहा है। 
    • पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है क्योंकि सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, न्यूनतम समर्थन मूल्य और धान (चावल) की खुली खरीद ने बड़े पैमाने पर भूजल दोहन को बढ़ावा दिया है। 
    • इस सब के कारण इस बेल्ट में एक पारिस्थितिक आपदा उत्पन्न हो गई है, जिसमें साल-दर-साल जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है। 
    • इसके साथ ही  धान के खेत लगभग 5 टन/हेक्टेयर की दर से कार्बन उत्सर्जित कर रहे हैं।
    • चावल और गेहूं की सफल उच्च उपज देने वाली किस्मों से भी विभिन्न प्रकार की विविधता का नुकसान होता है।

मृदा संरक्षण के प्रयास

  • भोजन तक पहुँच एक आय का मुद्दा है। शून्य भुखमरी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक देश को अपनी नीतियाँ बनानी होंगी।
  • भारत में दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम पी.एम.-गरीब कल्याण योजना के तहत 813 मिलियन लोगों को मुफ्त चावल/गेहूं दिया जाता है।
  • भारत को अपनी रासायनिक उर्वरक सब्सिडी नीतियों को बदलने की जरूरत है। 
    • किसानों को सीधे आय हस्तांतरण के लिए एन, पी और के के मूल्य निर्धारण में भारी सब्सिडी देने से लेकर NPK की कीमतों को बाजार की ताकतों द्वारा तय करने की अनुमति देने से एक सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। 
    • इसके लिए किसानों के भूमि रिकॉर्ड, उनके द्वारा उगाई जाने वाली फसल, सिंचाई आदि के संदर्भ में अग्रिम तैयारी की आवश्यकता है।
  • नवंबर-दिसंबर 2023 में दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित कॉप-28 में पहली बार कृषि को चर्चा में शामिल किया गया था। 
    • हालाँकि अमेरिका और चीन जैसे अधिकांश जी-20 देशों के विपरीत भारत ने इससे संबंधित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किया। 
    • भारत द्वारा कृषि नीतियों एवं पद्धतियों में महत्वपूर्ण बदलाव की आशंका में इस पर हस्ताक्षर नहीं किया।
  • जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि होने की संभावना के साथ नीतियों में परिवर्तन की आवश्यकता है। 
  • खाद्य प्रणालियों को जलवायु के अनुकूल बनाने के साथ ही भूजल के गिरते स्तर को भी रोकना आवश्यक है। 
    • इससे ग्रीन हाउस गैस में उत्सर्जन में कमी के साथ ही जैव विविधता  में भी सुधार होगा। 
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR