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भारत में हीट एक्शन प्लान

संदर्भ  

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस वर्ष फ़रवरी माह से ही हीटवेव की चेतावनी जारी करनी शुरू कर दी है। पूर्वोत्तर एवं पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में ग्रीष्मकाल की शुरुआत से बहुत पहले ही तापमान सामान्य से 3.1-5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। IMD ने पूर्वी एवं दक्षिणी भारत में आगामी दिनों में अधिकतम तापमान एवं हीटवेव की आवृत्ति में वृद्धि की भी भविष्यवाणी की है।

क्या होती है हीटवेव 

  • IMD के अनुसार, हीटवेव की परिभाषा क्षेत्रों के प्राकृतिक भूगोल (Physiography) पर निर्भर करती है। 
  • IMD निम्न स्थितियों में हीटवेव की घोषणा करता है, यदि किसी स्टेशन पर-  
    • मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रिकॉर्ड किया जाता हो 
    • समुद्र तटीय क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रिकॉर्ड किया जाता हो 
    • पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रिकॉर्ड किया जाता हो 

हीटवेव की गंभीरता के निर्धारण की दो मुख्य विधियाँ

  • सामान्य तापमान से उच्च तापमान की ओर विचलन : हीटवेव की गंभीरता का निर्धारण सामान्य तापमान से उच्च तापमान की ओर विचलन से होता है। 
    • सामान्य हीटवेव : यदि विचलन 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस के मध्य हो
    • गंभीर हीटवेव : यदि विचलन 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो
  • वास्तविक अधिकतम तापमान का मापन : हीटवेव की घोषणा वास्तविक अधिकतम तापमान पर भी आधारित हो सकती है, जैसे- 
    • हीटवेव : जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो
    • गंभीर हीटवेव : जब तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो  
  • हालाँकि, IMD ये दोनों विधियाँ केवल तभी अपनाता है जब किसी मौसम संबंधी उपक्षेत्र (Meteorological Subdivision) में कम-से-कम दो स्टेशन इतना अधिक तापमान रिपोर्ट करते हो या जब कम-से-कम एक स्टेशन ने कम-से-कम दो लगातार दिनों तक सामान्य से इसी तरह का विचलन दर्ज किया हो।

भारत में हीटवेव का प्रभाव

  • भूकंप एवं बाढ़ जैसी आपदाओं की तरह हीटवेव पर लोग अधिक ध्यान नहीं देते हैं किंतु भारत में हीटवेव से कई लोगों की मौत होती है। 
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, वर्ष 1992 से 2015 के मध्य हीटवेव के कारण देश भर में 24,223 मौतें हुईं। 
  • हीटवेव से प्रभावित होने वालों में अधिकांशत: गरीब एवं असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक (दिहाड़ी मजदूर, फेरीवाले, इत्यादि) होते है। 
  • हीटवेव से होने वाली मौत एवं बीमारियों से पीड़ित परिवारों के साथ-साथ देश की उत्पादकता में भी कमी आती है।
  • विगत कुछ वर्षो में हीटवेव से होने वाली मौतों में कमी आयी है। इसके लिए सरकार ने वर्ष 2015 में एक रणनीति बनाई है।

HT-ACTION

AFF-STATE

हीटवेव के लिए अनुकूल जलवायवीय परिस्थितियाँ

  • किसी क्षेत्र में गर्म शुष्क हवा का प्रसार 
  • ऊपरी वायुमंडल में नमी की अनुपस्थिति
  • व्यावहारिक रूप से बादल रहित आकाश 
  • प्रभावित क्षेत्र पर दीर्घआयामी प्रतिचक्रवात प्रवाह 

हीटवेव से बचाव के लिए हीट एक्शन प्लान (HAP)

  • सरकारों ने विभिन्न स्तरों, जैसे- राज्य, जिला एवं शहर स्तर पर हीट एक्शन प्लान (HAP) तैयार किया है।
  • HAP का उद्देश्य हीटवेव से निपटने और उबरने के लिए रणनीतियों व उपायों की रूपरेखा तैयार करके तैयारियों में वृद्धि करना तथा अत्यधिक गर्मी के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना है।  
  • HAP का विकास करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं IMD 23 राज्यों के साथ कार्यरत हैं। HAP पर कोई केंद्रीकृत डाटाबेस नहीं है किंतु राज्य व शहर स्तर पर कम-से-कम 23 HAP मौजूद हैं। 
    • ओडिशा एवं महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्य जिला स्तर पर HAP तैयार कर रहे हैं।

हीट एक्शन प्लान की कार्यविधि

  • भारत में HAP एक सामान्य पैटर्न का पालन करते हैं। वे क्षेत्रों की हीट प्रोफ़ाइल की एक झलक प्रदान करते हैं, जिसमें हीटवेव की पिछली घटनाओं की संख्या, गर्मियों में अधिकतम तापमान संबंधी वार्षिक रुझान, भू-पृष्ठ का तापमान और इसी तरह की जानकारी शामिल होती है। 
  • इसके बाद एक भेद्यता मूल्यांकन होता है जो उन क्षेत्रों को मैप करता है जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है और एक प्रतिक्रिया योजना तैयार की जाती है। 
  • यह प्रतिक्रिया योजना हीटवेव से पूर्व, उसके दौरान एवं उसके बाद हीटवेव के प्रभावों को कम करने और संबोधित करने के लिए सिफारिशें करती है। साथ ही, यह आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, श्रम विभाग एवं पुलिस जैसे विभिन्न संबंधित विभागों की भूमिकाओं व जिम्मेदारियों की रूपरेखा तैयार करती है।

हीटवेव एक्शन प्लान की अनुसंशाएँ

  • तात्कालिक उपाय
    • हीटवेव के बारे में जनता व संबंधित अधिकारियों को सचेत करने के लिए पूर्वानुमान एवं प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का उपयोग करना। 
    • हीटवेव से जुड़े जोखिमों के बारे में अभियानों के माध्यम से जनता को शिक्षित करना।
    • हीट शेल्टर एवं कूलिंग सेंटर स्थापित करना और स्वच्छ पेय प्रदान करने जैसे उपायों का संयोजन। 
    • निर्जलीकरण से बचने के लिए जल की उपलब्धता एवं उसका उपयोग बढ़ाना। 
    • अस्पतालों में आपूर्ति सुनिश्चित करने, पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों को गर्मी से प्रभावित रोगियों की पहचान करने और उनका इलाज करने का निर्देश।
  • दीर्घकालिक उपाय
    • वृक्षारोपण को बढ़ावा देने वाली शहरी नियोजन रणनीतियों को अपनाना
    • शहरी ताप द्वीप (Heat Island) प्रभाव को कम करने के लिए ऊष्मा प्रतिरोधी निर्माण सामग्री का उपयोग करना 
    • सौर अवशोषण को कम करने के लिए शीतल छत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना
    • इससे इनडोर तापमान में कमी आती है। 
    • सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सामुदायिक संगठनों एवं आपातकालीन सेवाओं सहित हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय पर जोर देना

हीट एक्शन प्लान के प्रभावी क्रियान्वयन में चुनौतियां

  • राष्ट्रीय संदर्भ : वर्तमान में केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही हीटवेव निर्धारण नीति है, जिससे राज्य, जिला या स्थानीय स्तर पर हीटवेव से बचाव के उपाय नहीं किये जाते है। 
  • असंगत तरीके : अधिकांश HAP के विकास के दौरान भेद्यता आकलन के तरीके असंगत हैं। आकलन के इन तरीको में पूर्ण जलवायु जोखिम मूल्यांकन एवं स्थानिक डाटा का अभाव पाया गया है। 
  • केंद्रित हस्तक्षेप : सभी HAP निम्न आय वाले समुदायों, बच्चों व बुजुर्गों जैसी कमजोर आबादी की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। हालाँकि, स्थानीय सामाजिक व जनसांख्यिकीय कारकों के आधार पर अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने वाले और गर्मी के प्रभाव में कमी लाने वाले लक्षित हस्तक्षेप को हीट एक्शन प्लान में शामिल नहीं किया गया है।
  • संसाधन आवंटन में समस्या : HAP का कार्यान्वयन स्थानीय सरकारों की प्राथमिकताओं व उपलब्ध क्षमताओं के आधार पर भिन्न हो सकता है। हालाँकि, इस आधार पर संसाधनों का आवंटन नहीं किया जाता है। 
  • अन्य योजनाओं से अलगाव : हीट एक्शन प्लान वर्तमान में सीमित वित्त के साथ स्टैंडअलोन योजनाएं हैं। इनका शहरी लचीलेपन व जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देने वाली अन्य व्यापक कार्य योजनाओं के साथ एकीकरण किया जाना चाहिए।

सुझाव

  • जोखिम मूल्यांकन में सुधार : विभिन्न क्षेत्रों में हीटवेव की संभावना की पहचान करने और लोगों व महत्त्वपूर्ण संपत्तियों के हीटवेव के संपर्क से होने वाले खतरे का अनुमान लगाने के लिए मूल्यांकन में सुधार की आवश्यकता है।
  • हीटवेव के दायरे का विस्तार : अत्यधिक शुष्क गर्मी के अलावा आर्द्र गर्मी व गर्म रातों को समायोजित करने के लिए हीटवेव के दायरे का विस्तार करने की आवश्यकता है। इसके लिए विभिन्न कारकों वाले एक ताप सूचकांक की जरुरत है।
  • क्षेत्रीय विविधता बढ़ाना : क्षेत्रीय विविधताओं पर भी विचार करने की आवश्यकता है जिसमें स्थानीय संदर्भ के अनुकूल रणनीतियों व हस्तक्षेपों का विकास शामिल है।
  • हॉट स्पॉट मैपिंग : लक्षित हस्तक्षेपों को प्राथमिकता देने और तैयार करने के लिए हॉटस्पॉट मैपिंग की आवश्यकता है, जो भू-स्थानिक डाटा से संभव है।
  • सुभेद्य वर्ग के लिए लक्षित रणनीति : हीटवेव को सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में स्वीकार करते हुए विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मतभेदों को पहचानकर लक्षित रणनीतियाँ तैयार करने की आवश्यकता है।
  • वित्त तंत्र की मजबूती : HAP के लिए समर्पित बजट आवंटन की आवश्यकता है। साथ ही, वित्तीय तंत्र के लिए योजना निर्माण के लिए राज्य, नागरिक समाज संगठनों व श्रमिक संघों के बीच संवाद महत्वपूर्ण है, जो अनौपचारिक श्रमिकों को गर्मी के दौरान आय सुरक्षा प्रदान कर सके।
  • प्रकृति आधारित समाधान : हॉटस्पॉट में अत्यधिक गर्मी से निपटने के लिए प्रकृति-आधारित समाधानों को शामिल करने पर केंद्रित योजना बनाना आवश्यक है।

निष्कर्ष

भारत का लगभग 90% हिस्सा हीटवेव प्रभाव से खतरे वाले क्षेत्र में शामिल है और देश का सबसे सुभेद्य एवं गरीब वर्ग इसकी चपेट में आता है। देश की जलवायु भेद्यता के आकलन के लिए मैट्रिक्स के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक हीटवेव भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति में बाधा बन सकती है। इसीलिए, भारत को हीटवेव एक्शन प्लान को अधिक प्रभावी बनाने पर जोर देना चाहिए।

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