(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब द्वारा जारी एक पेपर के अनुसार, वर्ष 2022-23 तक भारत की कुल आय में शीर्ष 1% लोगों की हिस्सेदारी 22.6% और कुल संपत्ति में शीर्ष 1% लोगों की हिस्सेदारी बढ़कर 40.1% हो गई है।
वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के बारे में
- वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब (WIL) पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का एक अनुसंधान केंद्र है।
- WIL असमानता व सार्वजनिक नीतियों के अनुसंधान पर केंद्रित है जो सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय न्याय को बढ़ावा देते हैं।
- WIL देशों के भीतर एवं देशों के बीच असमानता के विभिन्न आयामों पर साक्ष्य-आधारित शोध तैयार करने के लिए काम करता है।
- यह डाटाबेस में योगदान देने वाले शोधकर्ताओं के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करता है।
WIL द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर के मुख्य निष्कर्ष
‘भारत में आय एवं धन असमानता, 1922-2023: अरबपति राज का उदय’ शीर्षक वाले पेपर में कहा गया है कि भारत के आधुनिक पूंजीपति वर्ग के नेतृत्व वाला ‘अरबपति राज' अब उपनिवेशवादी ताकतों के नेतृत्व वाले ब्रिटिश राज की तुलना में अधिक असमान है।
औसत आय में वृद्धि
- वर्ष 1960 से 2022 के बीच भारत की औसत आय वास्तविक रूप से 2.6% प्रति वर्ष की दर से बढ़ी। इस अवधि को मोटे तौर पर दो हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है
- 1960 से 1990 के बीच प्रति वर्ष 1.6% की वास्तविक वृद्धि दर की तुलना में 1990 से 2022 के बीच औसत आय में प्रति वर्ष 3.6% की वृद्धि हुई।
- वर्ष 2005-2010 और 2010-2015 की अवधि में क्रमशः 4.3% एवं 4.9% प्रति वर्ष की तेज़ वृद्धि देखी गई।
अत्यधिक निवल मूल्य वाले व्यक्तियों का उदय
- वर्ष 1990 से 2022 के बीच की अवधि में राष्ट्रीय संपत्ति में वृद्धि देखी गई और बहुत अधिक निवल मूल्य वाले व्यक्तियों का उदय हुआ।
- जिनकी शुद्ध संपत्ति बाजार विनिमय दर पर $1 बिलियन से अधिक है।
- यह संख्या वर्ष 1991 में 1 से बढ़कर 2011 और 2022 में क्रमशः 52 व 162 हो गई है।
आयकर दाताओं के प्रतिशत में वृद्धि
- आयकर रिटर्न दाखिल करने वाली वयस्क आबादी का हिस्सा (जो 1990 के दशक तक 1% से कम था) वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के साथ भी काफी बढ़ गया।
- वर्ष 2011 तक हिस्सेदारी 5% को पार कर गई थी और पिछले दशक में भी निरंतर वृद्धि देखी गई तथा लगभग 9% वयस्कों ने वर्ष 2017-2020 में रिटर्न दाखिल किया।
भारत में असमानता का चरम स्तर
- वर्ष 2022-23 में भारत की राष्ट्रीय आय का 22.6% केवल शीर्ष 1% लोगों के पास केंद्रित हो गया है, जो वर्ष 1922 के बाद से डाटा श्रृंखला में दर्ज उच्चतम स्तर है।
- यह विश्व-युद्ध और औपनिवेशिक काल की तुलना में भी अधिक है।
- वर्ष 2022-23 में कुल संपत्ति में शीर्ष 1% लोगों की हिस्सेदारी बढ़कर 40.1% हो गई है।
- यह भी वर्ष 1961 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है जब धन पर डाटा श्रृंखला शुरू हुई थी।
शीर्ष पर अत्यधिक धन संकेन्द्रण
- भारत में धन संचय प्रक्रिया की प्रमुख विशेषता शीर्ष पर अत्यधिक संकेन्द्रण है। वर्ष 1961 से 2023 के बीच शीर्ष 1% लोगों में संपत्ति का हिस्सा 13% से तीन गुना बढ़कर 39% हो गया है।
- इनमें से अधिकांश लाभ वर्ष 1991 के बाद आए, जिसके बाद वर्ष 2022-23 तक शीर्ष 1% की हिस्सेदारी तेजी से ऊपर की ओर बढ़ी है।
- यह पेपर विभिन्न आय समूहों के बीच असमानता के स्तर पर भी प्रकाश डालता है।
- शीर्ष 1% के पास औसतन 5.4 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो औसत भारतीय से 40 गुना अधिक है।
- निचले 50% और मध्य 40% के पास क्रमशः 1.7 लाख रुपये (राष्ट्रीय औसत का 0.1 गुना) और 9.6 लाख रुपये (राष्ट्रीय औसत का 0.7 गुना) है।
अंतर्राष्ट्रीय तुलना
- शीर्ष 10% की आय हिस्सेदारी में भारत, दक्षिण अफ्रीका के बाद दूसरे स्थान पर है।
- विश्व असमानता डाटाबेस के आंकड़ों के आधार पर भारत की शीर्ष 1% आय हिस्सेदारी दुनिया में सर्वाधिक है।
- शीर्ष संपत्ति हिस्सेदारी के संदर्भ में शीर्ष 10% लोगो के मामलों में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और यू.एस. के बाद भारत चौथे स्थान पर है जबकि शीर्ष 1% के मामले में केवल दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ही भारत से ऊपर हैं।
आंकड़ों की कमी
- भारत में आर्थिक डेटा की गुणवत्ता काफी खराब है और हाल ही में इसमें गिरावट देखी गई है।
- इसलिए यह संभव है कि परिणाम वास्तविक असमानता स्तरों से भिन्न हों।
वर्किंग पेपर में मुख्य सुझाव
- यह पेपर भारत में असमानता की समस्या के समाधान के लिए कई नीतिगत उपायों की सिफारिश करता है।
- इनमें आय और धन दोनों को ध्यान में रखते हुए कर कोड का पुनर्गठन और स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में व्यापक-आधारित सार्वजनिक निवेश शामिल हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022-23 में 167 सबसे धनी परिवारों की शुद्ध संपत्ति पर 2% का ‘सुपर टैक्स’ राजस्व में राष्ट्रीय आय का 0.5% प्राप्त करेगा।
- यह असमानता से लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करने के अलावा ऐसे निवेशों को सुविधाजनक बनाने के लिए मूल्यवान राजकोषीय स्थान भी बनाएगा।