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भारत –ओमान संबंध

संदर्भ 

भारत अपने मध्य पूर्व संबंधों का विस्तार करने के लिए ओमान के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने पर विचार कर रहा है। नई दिल्ली मध्य पूर्व में अपने संबंधों का विस्तार करना चाहती है, क्योंकि यहां बढ़ते तनाव प्रमुख शिपिंग मार्ग को खतरे में डाल रहे हैं।

भारत के लिए ओमान का महत्व

  • ओमान सल्तनत भारत का एक रणनीतिक साझेदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी), अरब लीग और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) मंच पर एक महत्वपूर्ण वार्ताकार है।

OMAN

  • भारत और ओमान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध कमोबेश मधुर ही रहे हैं।
  • भारत और ओमान के बीच लोगों के आवागमन का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है, हालाँकि राजनयिक संबंध 1955 में स्थापित किए गए थे और 2008 में इस रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था।
  • अरब सागर में ओमान की खाड़ी में स्थति ओमान के बंदरगाह फारस की खाड़ी और अदन की खाड़ी का प्रवेश बिंदु है, जो ओमान की भौगोलिक अवस्थिति को भारत के लिए रणनीतिक महत्व का बनाता है।
  • भारतीय प्रवासी बांग्लादेश के बाद ओमान में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी है। 
  • ओमान में लगभग 6.8 लाख भारतीय मूल के समुदाय के सदस्य रहते हैं। उनमें से अधिकांश ब्लू कॉलर श्रमिक (अकुशल और अर्ध-कुशल दोनों) हैं।
  • इसके अलावा ओमान ने क्षेत्रीय मुद्दों और संघर्षों से निपटने में तटस्थता की विदेश नीति अपनाई है।
  • ओमान ने पश्चिमी शक्तियों और खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों और यहां तक ​​कि पड़ोसी ईरान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को सावधानीपूर्वक संतुलित किया है।

भारत ओमान द्विपक्षीय संबंध 

राजनीतिक संबंध

  • ओमान भारत की पश्चिम एशिया नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ और इसका सबसे पुराना क्षेत्रीय रणनीतिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच राजनीतिक जुड़ाव तेजी से और अधिक रणनीतिक आकार ले रहे हैं।
    • ऐतिहासिक भारत-ओमान द्विपक्षीय संबंध नवंबर 2008 में रणनीतिक साझेदारी में बदल गए।
    • इस विशेष मित्रता के प्रतीक के रूप में, भारत ने 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान अतिथि देश के रूप में जी20 शिखर सम्मेलन और बैठकों में भाग लेने के लिए ओमान के सुलतान को आमंत्रित किया था।

आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध 

  • द्विपक्षीय व्यापार : वित्त वर्ष 2020-2021 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 5.4432 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 12.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
    • वर्ष 2022 में ओमान के लिए चीन के बाद कच्चे तेल के निर्यात के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार था।
    • भारत ओमान के गैर-तेल निर्यात के लिए संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब के बाद चौथा सबसे बड़ा बाजार है और संयुक्त अरब अमीरात के बाद आयात का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
  • निवेश : ओमान में 6000 से अधिक भारत-ओमान संयुक्त उद्यम हैं जिनका अनुमानित निवेश 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। 
    • भारतीय कंपनियां ओमान में, विशेषकर सोहर और सलालाह मुक्त क्षेत्रों में अग्रणी निवेशक के रूप में उभरी हैं।
    • अक्टूबर, 2022 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) और सेंट्रल बैंक ऑफ ओमान (सीबीओ) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
    • यह समझौता ज्ञापन सभी ओमाननेट नेटवर्क एटीएम, पीओएस और ई-कॉमर्स साइटों पर भारतीय बैंकों द्वारा जारी किए गए भारतीय रुपे कार्ड और भारत में एनपीसीआई के नेटवर्क में ओमान कार्ड/एमपीसीएसएस की पारस्परिक स्वीकृति को सक्षम करता है।
  • रक्षा संबंध 
    • दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग किया है।
    • उदाहरण के लिए, भारत का एक नौसैनिक जहाज समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए हमेशा ओमान की खाड़ी में तैनात रहता है।
    • ओमान का दुकम बंदरगाह क्षेत्र में भारतीय नौसैनिक जहाजों को आधार (base) सुविधाएं, ऑपरेशनल टर्न राउंड और अन्य रसद सुविधाएं प्रदान करता है।
  • अंतरिक्ष सहयोग
    • भारत और ओमान अंतरिक्ष सहयोग के संबंध में सार्थक चर्चाएँ जारी हैं, जिसमें अंतरिक्ष-आधारित सिस्टम, डेटा सेवाओं और सूचना विनिमय जैसे विभिन्न तत्व शामिल हैं।
    • यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण भारत और ओमान के लिए अंतरिक्ष क्षमताओं में पारस्परिक विकास और उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है, जो बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में एक मजबूत बंधन को बढ़ावा देता है।

भारत-ओमान व्यापार समझौता

  • भारत और ओमान शीघ्र ही एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि नई दिल्ली मध्य पूर्व में अपने संबंधों का विस्तार करना चाहता है।
  • इस समझौते को लेकर दोनों देशों ने प्रतिबद्धता दिखाई हैं। 
    • ओमान ने कृषि उत्पादों, रत्न और आभूषण, चमड़ा, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरणों, इंजीनियरिंग उत्पादों और वस्त्रों सहित वार्षिक 3 बिलियन डॉलर के भारतीय निर्यात पर शुल्क खत्म करने पर सहमति व्यक्त की है।
    • भारत भी ओमान से आयातित पेट्रोकेमिकल उत्पादों, एल्युमीनियम और तांबे पर शुल्क कम करने पर सहमत हो गया है, हालाँकि ऐसी वस्तुओं पर एक स्धिकतम आयात सीमा लगाई गयी है।
  • महत्व : 
    • खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ समझौते पर बहुत कम प्रगति को देखते हुए, भारत ने अपना ध्यान ओमान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे जीसीसी सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर केंद्रित किया है।
    • ओमान के साथ संबंध भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि खाड़ी देश ओमान और ईरान के बीच होर्मुज की संकीर्ण जलडमरूमध्य का प्रवेश द्वार है, जो वैश्विक तेल शिपमेंट के लिए एक प्रमुख पारगमन बिंदु है।

निष्कर्ष

भारत पश्चिम एशिया में गहन जुड़ाव और सहयोग चाहता है, जिसमें ओमान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता ओमान इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण समूहों जैसे जीसीसी, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी), और अरब लीग का एक अभिन्न अंग है। इसके अलावा ओमान का ऐतिहासिक झुकाव भी भारत की तरफ रहा है; शीत युद्ध के दौरान और उसके बाद, अरब जगत (जो पाकिस्तान का समर्थक था) की तुलना में ओमान भारत के प्रति अधिक मित्रवत रहा है। 

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