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2030 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 3

संदर्भ-

  • एस. एंड पी. ग्लोबल रेटिंग्स ने 4 दिसंबर, 2023 को जारी अपनी रिपोर्ट 'ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक' में कहा कि भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है और अगले तीन वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगा।

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मुख्य बिंदु-

  • तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत का विकास पथ इस पर निर्भर करेगा कि उसे सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था से हटकर वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनना चाहिए।
  • एक मजबूत ‘लॉजिस्टिक्स ढांचा’ विकसित करना भारत को सेवा-प्रधान अर्थव्यवस्था से विनिर्माण-प्रमुख अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद पांचवें स्थान पर है। 
  • एस. एंड पी. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी अर्थव्यवस्था धीमी होने के साथ एशिया-प्रशांत का विकास इंजन चीन से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में स्थानांतरित होने की उम्मीद है। 
  • रेटिंग एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि चीन की जीडीपी वृद्धि वर्ष 2024 में 4.6 प्रतिशत (2023: 5.4 प्रतिशत) तक गिर जाएगी, फिर वर्ष 2025 में 4.8 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी और वर्ष 2026 में 4.6 प्रतिशत पर वापस आ जाएगी।

एस. एंड पी. के अनुसार भारत की विकास दर-

  • वित्तीय वर्ष, 2023-24 में भारत की विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत थी। 
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में  विकास दर 6.4 फीसदी रहेगी, जो वित्तीय वर्ष, 2025-26 में बढ़कर 6.9 फीसदी और वित्तीय वर्ष, 2026-27 में 7 फीसदी हो जाएगी।
  •  नवंबर, 2023 में भारत का जीडीपी डेटा जारी होने से पहले एस. एंड पी.ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए देश के विकास अनुमान को पहले के 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया था और वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए विकास अनुमान को पहले के 6.9 प्रतिशत से प्रतिशत से घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया था। 
  • दिसंबर, 2023 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था जुलाई-सितंबर, 2023 के दौरान में 7.6 प्रतिशत बढ़ी, जो लगभग 7 प्रतिशत विकास दर के अनुमान से अधिक है। विकास दर में वृद्धि मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में विकास, कॉर्पोरेट लाभप्रदता और निवेश में वृद्धि के कारण हुआ, जबकि सेवा क्षेत्र में कमी देखी गई।

भारत के विकास दर में वृद्धि का कारण-

  • एस. एंड पी. की रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम बाजार की क्षमता को अनलॉक करना काफी हद तक श्रमिकों का कौशल बढ़ाने और कार्यबल में महिला भागीदारी बढ़ाने पर निर्भर करेगा।
  • उपर्युक्त दोनों कारकों के कारण भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ मिलने की उम्मीद है। 
  • एक तेजी से बढ़ता घरेलू डिजिटल बाजार अगले दशक के दौरान भारत के उच्च-विकास स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में विस्तार को बढ़ावा दे सकता है, खासकर वित्तीय और उपभोक्ता प्रौद्योगिकी में। 
  • ऑटोमोटिव क्षेत्र में भारत विकास, बुनियादी ढांचे, निवेश और नवाचार के लिए तैयार है।

प्रतिस्पर्धा-

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया, भारत, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको सहित कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 2024 में चुनाव होने हैं।
  • नीति पूर्वानुमान का निम्न स्तर निवेशकों की भावना को कमजोर कर सकता है और मौजूदा निवेश क्षमता को पटरी से उतार सकता है। 
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाजारों को संरचनात्मक अवसरों से लाभ उठाने के लिए अभी भी काम करना है। उदाहरण के लिए, इन विकासशील रुझानों में निवेश आकर्षित करने के लिए नीति में स्पष्टता बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा।
  • वैश्विक विकास परिदृश्य में  उच्च ब्याज दरों के जोखिम को स्पष्ट करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक रूप से उच्च विकास उम्मीदों के अभाव में उच्च ब्याज दरें निवेश वृद्धि को बाधित करेंगी। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, "पूंजी की उच्च औसत लागत और ब्याज दर के बोझ के बीच निवेश में तेज वृद्धि को लाना मुश्किल होगा, क्योंकि बड़े औसत अपेक्षित रिटर्न के बिना ब्याज दरों के कुछ समय के लिए सामान्य से अधिक रहने की संभावना है ।" 

वैश्विक विकास का अनुमान-

  • वैश्विक विकास के लिए रेटिंग एजेंसी ने 2024 के लिए बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच लगातार तंग और अस्थिर वित्तपोषण स्थितियों से जोखिमों की रूपरेखा तैयार की, जिससे अधिक कमजोर उधारकर्ताओं की ऋण-सेवा क्षमता पर दबाव बढ़ रहा है। 
  • सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में उम्मीद से अधिक लंबी मंदी वैश्विक विकास को और कमजोर कर सकती है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, लगातार इनपुट-लागत मुद्रास्फीति और उच्च ऊर्जा कीमतें, कमजोर मांग के साथ मिलकर, कॉर्पोरेट मुनाफे को कम करती हैं और सरकारों के वित्तीय संतुलन पर दबाव डालती हैं। 
  • वैश्विक रियल एस्टेट बाज़ारों में कमी के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर ऋण हानि होती है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं एवं बाज़ारों में इसका प्रभाव पड़ता है। 
  • भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से बाज़ारों में उथल-पुथल मची हुई है और व्यापारिक स्थितियां प्रभावित हो रही हैं। 
  • क्रेडिट के भविष्य को आकार देने वाले संरचना पर बढ़ते साइबर हमलों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से जुड़े भौतिक और संक्रमणकालीन जोखिमों से क्रेडिट पर अधिक दबाव पड़ रहा है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न- 

प्रश्न- 'ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक’ किस संस्था द्वारा जारी किया गया?

(a) एस. एंड पी.

(b) क्रिसिल

(c) एडीबी

(d)आईएमएफ

उत्तर- (a)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत का विकास पथ सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था से हटकर विनिर्माण आधारित होना चाहिए। मूल्यांकन कीजिए।

स्रोत- indian express 

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