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भारत-भूटान संबंध

                           (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध)

संदर्भ 

हाल ही में, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने भारत की आधिकारिक यात्रा की। इस दौरान दोनों पक्षों में संबंधों को मजबूत करने पर सहमती बनी।   

भारत-भूटान संबंध

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 

  • 38,394 वर्ग किमी. क्षेत्रफल एवं 7.7 लाख की आबादी वाले भूटान की अपने पड़ोसी देश भारत के साथ विगत 50 से अधिक वर्षों से स्थापित संबंध अत्यधिक मधुर है। 
  • भारत एवं भूटान के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1968 में स्थापित हुए थे। भारत-भूटान संबंधों का मूल ढाँचा दोनों देशों के बीच वर्ष 1949 में हस्ताक्षरित मित्रता एवं सहयोग संधि है। 
    • इसे फरवरी 2007 में संशोधित किया गया था।
  • नियमित राजनीतिक व आधिकारिक आदान-प्रदान की परंपरा दोनों देशों के बीच मित्रता एवं सहयोग के विशेष संबंधों की एक महत्वपूर्ण पहचान है। 
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर भूटान का दौरा किया। 
    • अपने दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार संभालने के बाद अगस्त 2019 में उन्होंने भूटान की राजकीय यात्रा की।
    • भूटान के महामहिम राजा ने 14 से 16 सितंबर, 2022 तक भारत का दौरा किया। अप्रैल 2023 में भी महामहिम राजा ने भारत का दौरा किया।
  • ‘विस्तारित भारत-भूटान साझेदारी के लिए एक रूपरेखा’ शीर्षक से एक संयुक्त वक्तव्य  ने भारत-भूटान साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए ठोस क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार करते हुए अद्वितीय संबंधों की पुष्टि की।
  • नवंबर 2023 में महामहिम ने मित्रता एवं सहयोग के संबंधों का विस्तार करने के लिए असम व महाराष्ट्र राज्यों की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा की।
  • भूटान के महामहिम राजा ने 17 दिसंबर, 2021 को भूटान के 114वें राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो से सम्मानित किया। 
    • यह पुरस्कार भारत-भूटान मित्रता को मजबूत करने में प्रधानमंत्री के योगदान को मान्यता देता है। 
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महामहिम द्वारा यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले विदेशी नागरिक हैं।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक संबंध 

  • दोनों राष्ट्र एक-दूसरे को समान रूप से देखते हैं ऐसे में दोनों देशों के आकार का दो संप्रभु राष्ट्रों के बीच संबंधों में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 
  • भारत ने भूटानी पहचान, उसकी अनूठी धार्मिक प्रथाओं व जीवन शैली को बरकरार रखते हुए आर्थिक रूप से समृद्ध होने की उसकी इच्छा का निरंतर सम्मान किया है। 
  • भूटान लंबे समय से जानता है कि उसके दक्षिणी हिस्से से उसकी संप्रभुता या पहचान को कोई वास्तविक खतरा नहीं है।
    • इसलिए, उसने विकास एवं समृद्धि में मदद के लिए भारत की ओर देखा है। 
  • विगत दशकों में दोनों देशों के नेतृत्व के मध्य उच्च स्तर का एक विश्वास विकसित हुआ है। 

भारत-भूटान फाउंडेशन

  • भारत-भूटान फाउंडेशन की स्थापना 29 अगस्त, 2003 को नई दिल्ली में भारत व भूटान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अनुसार की गई थी। 
    • यह फाउंडेशन सांस्कृतिक, वैज्ञानिक व तकनीकी क्षेत्र में शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से भारत एवं भूटान के लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाता है। 
    • इसका प्रबंधन निदेशक मंडल में निहित हैं जिसमें कुल दस सदस्य शामिल हैं। 
    • भारत में भूटान के राजदूत और भूटान में भारत के राजदूत निदेशक मंडल के सह-अध्यक्ष हैं। 
    • भारत एवं भूटान की सरकारें चार-चार सदस्यों को नामांकित कर सकती हैं।

तीर्थयात्री के रूप में 

  • कई भूटानी तीर्थयात्री बोधगया, राजगीर, नालंदा, सिक्किम, उदयगिरि, सारनाथ व भारत के अन्य बौद्ध स्थलों की यात्रा करते हैं। 
  • भारत व भूटान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के जश्न के हिस्से के रूप में परम पावन जे खेनपो ने भूटानी लखांग (मंदिर) के निर्माण और साइट पर विश्व शांति प्रार्थना आयोजित करने के लिए सालांग या भूमि-पूजन समारोह की अध्यक्षता की।

विकासात्मक साझेदारी

पंचवर्षीय परियोजनाएँ

  • वर्ष 1971 में भूटान की पहली पंचवर्षीय योजना के बाद से भारत ने भूटान के लोगों और सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप उसके सामाजिक-आर्थिक विकास में भूटान के साथ निकटता से भागीदारी की है। 
  • भूटान को भारत की विकास सहायता द्विपक्षीय विकास सहयोग वार्ता या वार्षिक योजना वार्ता के व्यापक तंत्र के तहत समन्वित की जाती है।
  • भूटान की शाही सरकार की 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए भारत ने 5000 करोड़ रुपए के सहायता पैकेज की प्रतिबद्धता जताई। 
    • इसके तहत भारत ने भूटान में 82 परियोजना बंधित सहायता परियोजनाएँ और 524 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएँ लागू की हैं। 
    • भारत की प्रतिबद्धता में संक्रमणकालीन व्यापार सहायता सुविधा के लिए 400 करोड़ रुपए शामिल हैं।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास से संबंधित विकास परियोजनाओं के दायरे में मुख्यत: शामिल हैं :
    • सड़क, डिजिटल कनेक्टिविटी, ऊर्जा, कृषि, आई.सी.टी., स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन विकास, शहरी विकास और संवैधानिक कार्यालयों  का विकास 
    • उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में छोटी अवधि की परियोजनाओं में पेयजल आपूर्ति नेटवर्क, सिंचाई नहरों, कृषि सड़कों के निर्माण, बुनियादी स्वास्थ्य इकाइयों और अन्य ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं। 
  • विकास साझेदारी में एक कार्यक्रम अनुदान घटक भी शामिल है जो भूटान की शाही सरकार को प्रत्यक्ष बजटीय सहायता है।
  • भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (फरवरी 2024-जनवरी 2029) के लिए भूटान की शाही सरकार के साथ भारत की विकास साझेदारी की मात्रा एवं प्रणाली को अंतिम रूप देने के लिए दोनों सरकारों के बीच चर्चा जारी है।

सीमा पार कनेक्टिविटी परियोजनाएँ

  • दोनों देशों के बीच व्यापक रूप में सीमा पार कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भूटान की शाही सरकार व भारत सरकार के बीच चर्चा जारी है।
  • दोनों पक्ष पश्चिम बंगाल में बनारहाट एवं भूटान में समत्से के बीच और असम में कोकराझार तथा भूटान में गेलेफू के बीच रेल-लिंक स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। 
  • दोनों सरकारें माल की आवाजाही को आसान बनाने के लिए सीमा पार व्यापार बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने की दिशा में भी काम कर रही हैं।

व्यापार एवं वाणिज्य

आयत एवं निर्यात 

  • भारत निरंतर आयात स्रोत व निर्यात गंतव्य दोनों के रूप में भूटान का शीर्ष व्यापारिक भागीदार रहा है। 
  • वर्ष 2014 के बाद से भूटान के साथ भारत का व्यापार वर्ष 2014-15 में 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग तीन गुना होकर वर्ष 2022-23 में 1615 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। 
  • भूटान के साथ हमारे अद्वितीय व्यापार संबंध वर्ष 2007 की भारत-भूटान मैत्री संधि और वर्ष 2016 के व्यापार, वाणिज्य व पारगमन पर भारत-भूटान समझौते द्वारा शासित होते हैं। 
    • यह दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित करता है और तीसरे देशों से भूटान को माल का शुल्क मुक्त पारगमन भी प्रदान करता है। 
  • भूटान के कुल व्यापार का लगभग 94% भूमि मार्ग से होता है। दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए भारत-भूटान सीमा पर दस (10) भूमि सीमा शुल्क स्टेशन अधिसूचित किए गए हैं। 
  • भूटान के कुल व्यापार का लगभग 70% जयगांव-फुएंतशोलिंग भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के माध्यम से होता है।

निवेश 

  • भूटान में निवेश का प्रमुख स्रोत भारत बना हुआ है, जिसमें देश के कुल एफ.डी.आई. का 50% शामिल है। 
  • वर्तमान में भूटान में विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- बैंकिंग, विनिर्माण, बिजली उत्पादन, कृषि/खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स, आतिथ्य एवं शिक्षा में लगभग 30 भारतीय एफ.डी.आई. कंपनियाँ संलग्न हैं।

आर.बी.आई. की वित्तपोषण सुविधाएँ

मुद्रा विनिमय सुविधा

सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक ने नवंबर 2022 में रॉयल मौद्रिक प्राधिकरण के साथ भारतीय रुपया तरलता के प्रबंधन, विदेशी मुद्रा पर दबाव को कम करने और सीमा पार व्यापार के लिए विनिमय के एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में रुपए के उपयोग का समर्थन करने के लिए 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। 

स्टैंडबाय क्रेडिट सुविधा

  • भूटान की शाही सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार 01 जुलाई, 2022 से 300 करोड़ और 400 करोड़ रुपए की दो स्टैंडबाय क्रेडिट सुविधाओं पर ब्याज दर को 5% से घटाकर 2.5% करने पर सहमत हुई है।
  • भारत सरकार ने 300 करोड़ रूपए की एक अतिरिक्त स्टैंडबाय क्रेडिट सुविधा (भूटान की शाही सरकार के अनुरोध पर) भी बढ़ा दी है जिसका लाभ 29 नवंबर, 2023 से रॉयल मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा लिया गया है।

ग्यालसुंग-राष्ट्रीय सेवा कार्यक्रम पर भारत-भूटान साझेदारी

  • भारत ने भूटान के ग्यालसुंग परियोजना के लिए 2 अरब रूपए की अनुदान सहायता बढ़ा दी है।  
    • यह परियोजना युवाओं को महत्वपूर्ण कौशल से लैस करने और राष्ट्र निर्माण प्रयासों में योगदान करने में सक्षम बनाएगी।
    • 20 जनवरी 2024 को, भारत सरकार और भूटान की शाही सरकार ने ग्यालसुंग अकादमियों के लिए बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए 1500 करोड़ रूपए के रियायती ऋण पर हस्ताक्षर किए। 
    • यह वित्तपोषण व्यवस्था भूटान को भारत सरकार की योजना सहायता के अतिरिक्त है।

स्वास्थ्य साझेदारी

  • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत व भूटान की साझेदारी अस्पतालों के निर्माण, प्रमुख सरकारी योजनाओं के समर्थन के साथ-साथ दवाओं एवं विशेष चिकित्सा उपकरणों की खरीद तक विविध तथा बहुआयामी है।
  • भूटान विदेश मंत्रालय वैक्सीन मैत्री पहल के तहत मेड इन इंडिया कोविशील्ड टीके प्राप्त करने वाला पहला देश था। 
    • भूटान को उपहार स्वरूप कोविशील्ड की कुल 550,000 खुराकें दी गईं। 
    • भारत सरकार ने महामारी के दौरान भूटान को आवश्यक दवाओं से युक्त 12 चिकित्सा खेप भी पहुंचाईं। 

शिक्षा एवं क्षमता निर्माण

  • शिक्षा, भारत व भूटान के बीच सहयोग का एक मजबूत स्तंभ है। कई भूटानी छात्र भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति से लाभान्वित होते हैं।
    • प्रत्येक वर्ष भारतीय कॉलेजों व संस्थानों में पढ़ने वाले 1000 से अधिक भूटानी छात्र राजदूत छात्रवृत्ति के पुरस्कार से लाभान्वित होते हैं।
  • भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के तहत भूटान में सरकारी अधिकारियों व निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के प्रशासनिक एवं तकनीकी कौशल को उन्नत करने के लिए भूटान को सालाना असीमित ई-आई.टी.ई.सी. स्लॉट के साथ प्रशिक्षण के लिए लगभग 325 स्लॉट आवंटित किए जाते हैं। 
    • विगत 11-12 वर्षों में 3,000 से अधिक भूटानी नागरिकों ने शासन के सभी क्षेत्रों को कवर करते हुए भारत में विभिन्न सूचना एवं तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाया है।

जलविद्युत सहयोग 

  • जलविद्युत सहयोग भूटान के साथ भारत के संबंधों का आधार है। 
    • दोनों सरकारों द्वारा कई सहकारी पनबिजली परियोजनाएँ पूरी की गईं जो भारत को स्वच्छ बिजली की आपूर्ति और थिम्पू को राजस्व का एक स्रोत प्रदान करती हैं। 
    • इसके कारण यह सबसे कम विकसित देश की स्थिति से बाहर हो गया है। 
  • अब तक भारत सरकार ने भूटान में कुल 2136 मेगावाट की चार प्रमुख पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण किया है : 
    • चुखा जल विद्युत् परियोजना (336 मेगावाट)
    • कुरिचू जल विद्युत् परियोजना (60 मेगावाट) 
    • ताला जल विद्युत् परियोजना (1020 मेगावाट) 
    • मंगदेछू जल विद्युत् परियोजना (720 मेगावाट)
  • वर्तमान में पुनात्सांगछू-I व पुनात्सांगछू-II दो परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं। 
    • विलंबित पुनात्सांगचू-II जलविद्युत परियोजना के वर्ष 2024 में पूरा होने की संभावना है जो जलविद्युत में सहयोग के सरकार-से-सरकार मॉडल का एक सफल उदाहरण है।
  • भूटान की शाही सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने 64 मेगावाट बसोचू जल विद्युत परियोजना को भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज के डे अहेड मार्केट में बिजली बेचने की अनुमति दी है।
  • हाल के वर्षों में भारत एवं भूटान के बीच जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए एक नया संयुक्त उद्यम मॉडल विकसित किया गया था। 
    • किंतु इसके तहत प्रस्तावित परियोजनाओं में से कोई भी वास्तव में शुरू नहीं हुई है। ऐसे में यह स्वीकारना आवश्यक है कि नया प्रस्तावित मॉडल त्रुटिपूर्ण है। 
    • ऐसे में जलविद्युत् परियोजनाओं के लिए अधिक व्यावहारिक एवं संभावित रूप से सफल नए मॉडल पर विचार करने की आवश्यकता है।

नये एवं उभरते क्षेत्रों में सहयोग

अंतरिक्ष सहयोग 

  • 17 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके भूटानी समकक्ष डॉ. लोटे शेरिंग ने संयुक्त रूप से थिम्पू में दक्षिण एशिया सैटेलाइट के ग्राउंड अर्थ स्टेशन का उद्घाटन किया।
  • दोनों पक्षों ने भारत-भूटान सैट पर सहयोग किया जो भारत और भूटान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पहला उपग्रह है जिसे 26 नवंबर, 2022 को श्रीहरिकोटा में इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। 
    • यह पृथ्वी की उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां प्रदान करने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में भूटान की मदद कर रहा है।

फिन-टेक

  • फिन-टेक भारत और भूटान के बीच सहयोग का एक अन्य क्षेत्र है। 
  • रुपे कार्ड को भूटान में दो चरणों में लॉन्च किया गया था : 
    • चरण I को वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था ताकि भारतीय बैंकों द्वारा जारी किए गए रुपे कार्ड का उपयोग करके भूटान में भुगतान स्वीकार किया जा सके। 
    • चरण II को वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था ताकि भूटानी बैंकों द्वारा जारी किए गए रुपे कार्ड का उपयोग करके भारत में भुगतान स्वीकार किया जा सके।  
      • इसका उद्देश्य भूटान में भारतीय आगंतुकों और भूटानी नागरिकों को लाभ पहुंचाना है जो शिक्षा, पर्यटन और काम के लिए भारत की यात्रा और पारगमन करते हैं। 
  • वर्ष 2021 में भारत का भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM) एप्लिकेशन दोनों देशों के बीच कैशलेस भुगतान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भूटान में लॉन्च किया गया था।

ई-लर्निंग 

  • भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के साथ भूटान के ड्रुक अनुसंधान और शिक्षा नेटवर्क का एकीकरण ई-लर्निंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सहयोग है। 
    • यह एकीकरण दोनों देशों के विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, पुस्तकालयों, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि संस्थानों के बीच एक सूचना राजमार्ग बनाता है।
    •  5 जीबीपीएस कनेक्टिविटी लिंक का उपयोग भूटान में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अस्पतालों द्वारा किया जा रहा है।

भूटान में भारतीय प्रवासी

  • वर्तमान में लगभग 50,000 भारतीय भूटान में बुनियादी ढाँचे के विकास, जलविद्युत, शिक्षा, व्यापार व वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जो दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है। 
  • भूटान के समग्र विकास में उनके योगदान और सेवा को स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। 
  • जनवरी 2023 में रॉयल थिम्पू कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर संजीव मेहता को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और भूटान में तीन दशकों की सेवा के लिए प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

गेलेफू परियोजना

  • भूटान के राजा ने विगत वर्ष अपनी भारत की यात्रा के दौरान दक्षिणी भूटान के गेलेफू में माइंडफुलनेस सिटी के विकास की योजना का संकेत दिया था। 
    • इसकी विदेशी निवेश को आकर्षित करने और उस देश की समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र के रूप में परिकल्पना की गई थी।
    • इसका उद्देश्य स्थिरता, कल्याण व पर्यावरण संबंधी चिंताओं को सबसे आगे रखना है।
    • ऐसी परियोजना से भूटान के लोगों को उच्च आय स्तर तक ले जाने की उम्मीद है, साथ ही कार्बन नकारात्मक देश के रूप में भूटान पर इसके प्रभाव के बारे में किसी भी चिंता को दूर किया जा सकेगा। 
  • आने वाले वर्षों में भारत को गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी की सफलता में योगदान देना चाहिए। इसके लिए भारत निम्नलिखित उपायों पर विचार कर सकता है:
    • मुंबई/दिल्ली और गेलेफू के बीच सीधी उड़ानें शुरू करना
    • भूटान को कठिन बुनियादी ढाँचे के निर्माण में भारतीय तकनीक व ज्ञान का आदान-प्रदान प्रदान करना
    • उच्च श्रेणी के भारतीय पर्यटकों व व्यवसायियों को नियंत्रित संख्या में गेलेफू की यात्रा के लिए प्रोत्साहित करना
    • भारतीय व्यवसायों को शहर में दुकान स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना 
  • गेलेफू पश्चिम बंगाल और असम के सीमावर्ती क्षेत्रों से संलग्न है। 
    • ऐसे में गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी की सफलता से इन भौगोलिक क्षेत्रों पर भी सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।

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