प्रारंभिक परीक्षा – जनसांख्यिकीय लाभांश मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
चर्चा में क्यों
विश्व बैंक ने 02 अप्रैल, 2024 को कहा कि दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार सृजन कामकाजी उम्र की आबादी के वृद्धि के अनुरूप नहीं है, जिससे भारत ‘जनसांख्यिकीय लाभांश को गंवा सकता है।
प्रमुख बिंदु
- विश्व बैंक का कहना है कि भारत जनसांख्यिकीय लाभांश खोने का जोखिम उठा रहा है।
- विश्व बैंक के अनुसार दक्षिण एशिया का रोजगार अनुपात या नौकरियों में कामकाजी उम्र की आबादी का हिस्सा वर्ष 2023 में 59% था, जबकि अन्य उभरते बाजारों में यह 70% था।
- वर्ष 2000-2022 के बीच भारत के रोजगार अनुपात में नेपाल को छोड़कर किसी भी अन्य दक्षिण एशियाई देश की तुलना में अधिक गिरावट दर्ज की गई।
- दक्षिण एशिया में दुनिया की सबसे तेज़ आर्थिक वृद्धि हो रही है लेकिन यह नौकरियाँ पैदा करने में विफल हो रहा है।
- विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि भारत और उसके पड़ोसी युवा आबादी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र का जनसांख्यिकीय लाभांश खतरे में पड़ गया है। यह क्षेत्र दुनिया की सबसे तेज आर्थिक वृद्धि कर रहा है।
- विश्व बैंक ने कहा कि दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका शामिल हैं। अगले दो वर्षों में किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में तेजी से बढ़ेगी।
- दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में 6 प्रतिशत और वर्ष 2025 में 6.1 प्रतिशत के साथ वृद्धि करेगीं।
- भारत 1.4 बिलियन लोगों के साथ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने के लिए चीन से आगे निकल गया।
- विश्व बैंक ने कहा कि क्षेत्र का रोजगार अनुपात या नौकरियों में कामकाजी उम्र की आबादी का हिस्सा गिर रहा है।
- यह एक संकेत है कि देश अपनी युवा, बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त भूमिकाएँ बनाने में विफल हो रहे हैं।
- विश्व बैंक के अनुसार दक्षिण एशिया एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां पिछले दो दशकों में कामकाजी उम्र के पुरुषों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है।
- महिलाओं के लिए नौकरियों की कमी एक और चुनौती है।
- भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में महिला रोजगार अनुपात दुनिया में सबसे कम, 40 प्रतिशत से भी कम है।
- विश्व बैंक के अनुसार बेरोजगारी का मुद्दा भारत में विशेष रूप से भयावह हो गया है, जो अपनी तीव्र आर्थिक वृद्धि के बावजूद पर्याप्त काम पैदा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
सुझाव:
- रोजगार को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रयास करना
- अधिक आर्थिक सुधारों को लागू करना
- व्यापार को बढ़ावा देना
- निजी व्यवसायों के लिए भूमि तक पहुंच आसान बनाना
जनसांख्यिकीय लाभांश
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के अनुसार, जनसांख्यिकीय लाभांश का अभिप्राय कार्यशील उम्र की आबादी (15 से 64 वर्ष ) का हिस्सा गैर-कार्यशील उम्र (14 और उससे कम, तथा 65 एवं उससे अधिक) की आबादी से अधिक होने से है।
- भारत में 62% से अधिक जनसंख्या की आयु 15 से 59 वर्ष के बीच है तथा जनसंख्या की औसत आयु 30 वर्ष से कम है।
- इसका तात्पर्य यह है कि भारत जनसंख्या की आयु संरचना के आधार पर आर्थिक विकास की क्षमता का प्रतिनिधित्व करने वाले 'जनसांख्यिकीय लाभांश' के चरण से गुज़र रहा है।
- इस क्षमता को वास्तविकता में बदलने के लिये किशोरों और युवाओं को स्वस्थ एवं सुशिक्षित होना आवश्यक है।
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश पर एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश का अवसर वर्ष 2005-06 से वर्ष 2055-56 तक 5 दशकों तक उपलब्ध है।
जनसांख्यिकीय लाभांश से जुड़ी चुनौतियां:
- शिक्षा और कौशल की कमी:
- भारत की अल्प-वित्तपोषित शिक्षा प्रणाली युवाओं को उभरते रोज़गार के अवसरों का लाभ उठाने हेतु आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए अपर्याप्त है।
- विश्व बैंक के अनुसार शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय वर्ष 2020 में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3.4% था।
- महामारी का प्रभाव:
- विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा, जीवन और मानसिक कल्याण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि दुनिया भर में महामारी के दौरान 65% किशोरों की शिक्षा में कमी आई है।
- युवा महिलाओं के मुद्दे:
- बाल विवाह, लिंग आधारित हिंसा, दुर्व्यवहार और तस्करी के प्रति उनकी संवेदनशीलता, खासकर यदि प्राथमिक देखभाल करने वाले बीमार पड़ जाते हैं या मर जाते हैं जैसे मुद्दे युवा महिलाओं को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने से रोकते हैं।
- रोज़गार विहीन विकास:
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद में मुख्य योगदानकर्त्ता सेवा क्षेत्र है जो श्रम प्रधान नहीं है और इस प्रकार का रोज़गार विहीन विकास को बढावा देता है।
- इसके अलावा भारत की लगभग 50% आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है जो कि अल्प-रोज़गारऔर प्रच्छन्न बेरोज़गारी से ग्रस्त है।
- निम्न सामाजिक पूंजी:
- उच्च स्तर की भुखमरी, कुपोषण, बच्चों में बौनापन, किशोरियों में रक्ताल्पता का उच्च स्तर, खराब स्वच्छता आदि भारत के युवाओं की क्षमता को साकार करने में बाधा है।
विश्व बैंक (WORLD BANK):
- यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है।
- वर्ष 1944 में अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा (IMF) को स्थापित किया गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) और इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन मिलकर विश्व बैंक बनाते हैं।
- इसका मुख्यालय वॉशिंगटन, डी. सी. में है।
विश्व बैंक समूह निम्नलिखित पाँच अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का समूह:
- पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
- निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID)
- बहुपक्षीय निवेश गारण्टी एजेंसी (MIGA)
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- विश्व बैंक के अनुसार दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार सृजन कामकाजी उम्र की आबादी में वृद्धि के अनुरूप नहीं है, जिससे ‘जनसांख्यिकीय लाभांश को गंवा सकता है।
- जनसांख्यिकीय का अभिप्राय कार्यशील उम्र की आबादी (15 से 64 वर्ष ) का हिस्सा गैर-कार्यशील उम्र (14 और उससे कम, तथा 65 एवं उससे अधिक) की आबादी से अधिक होने से है।
- वर्ष 1944 में अन्तरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा को (IMF) को स्थापित किया गया था।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: जनसांख्यिकीय लाभांश क्या है? इसके प्रमुख लाभों का उल्लेख करते हुए इससे संबंधित चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।
|
स्रोत: THE HINDU