New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

पोल्ट्री उद्योग में तत्काल सुधार की आवश्यकता

संदर्भ

  • भारत में झारखंड, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बर्ड फ्लू फैलने की खबरें आई हैं। झारखण्ड की राजधानी रांची में, एक क्षेत्रीय पोल्ट्री फार्म के दो डॉक्टरों और छह कर्मचारियों को क्वारंटाइन किया गया है। एहतियात के तौर पर लगभग 1,745 मुर्गियों, 450 बत्तखों और 1,697 अंडों का निपटान किया गया है। केरल के अलाप्पुजा के दो वार्डों में बर्ड फ्लू के मामले पाए गए हैं।

POULTRY

भारत में पोल्ट्री उद्योग 

  • भारत वर्तमान में पोल्ट्री मांस और अंडे का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, यहाँ 4.78 मिलियन टन से अधिक चिकन और 129.6 बिलियन अंडो का वार्षिक उत्पादन किया जाता है। 
  • भारत का पोल्ट्री बाजार, जिसका मूल्य वर्तमान में लगभग 28.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, 2024-2032 की अनुमानित अवधि में 8.1% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है, जो 2032 तक लगभग 44.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य तक पहुंच जाएगा।
  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, भारत ने दुनिया भर में वर्ष 2022-23 के दौरान 1,081.62 करोड़ रुपये मूल्य के 664,753.46 मीट्रिक टन पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया है। मुख्य निर्यातक देश ओमान, इंडोनेशिया, मालदीव, UAE और जापान रहे है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 5,000 से अधिक पक्षियों वाली पोल्ट्री इकाइयों को 'प्रदूषणकारी उद्योग' के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसे स्थापित करने और संचालित करने के लिए अनुपालन और नियामक सहमति की आवश्यकता होती है। 

बर्ड फ्लू वायरस

  • एवियन इन्फ्लूएंजा, जिसे "बर्ड फ्लू" कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर पक्षियों में फैलता है लेकिन कभी-कभी मनुष्यों में भी फैल सकता है। 
    • जो लोग मुर्गीपालन, जलपक्षी (जैसे हंस और बत्तख) और पशुधन के साथ काम करते हैं उन्हें सबसे अधिक इस वायरस का खतरा होता है।
  • मनुष्यों में फैलने वाले सबसे आम उप-प्रकार इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) और इन्फ्लूएंजा ए (H7N9) हैं। इनका नाम वायरस की सतह पर मौजूद प्रोटीन के प्रकार के आधार पर रखा गया है।

एवियन इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) का प्रकोप

  • पहला H5N1 संक्रमण 1997 में हांगकांग में मुर्गियों से सीधे मनुष्यों में फैल गया था। 
  • भारत में, H5N1 का पहला रोगी 2006 में महाराष्ट्र में सामने आया था। 
  • मनुष्यों के मामले में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि H5N1 के लिए मृत्यु दर 52% है, जो 2003 से इस वायरस से पीड़ित 888 लोगों में से दर्ज की गई 463 मौतों पर आधारित है। 
  • एवियन इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) से मानव संक्रमण के लगभग सभी मामले संक्रमित पक्षियों या दूषित वातावरण के निकट संपर्क से जुड़े हुए हैं।

एकल स्वास्थ्य दृष्टिकोण (One Health Approach)

  • वन हेल्थ एक एकीकृत एवं समन्वित दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य लोगों, जानवरों और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को स्थायी रूप से संतुलित और अनुकूलित करना है।
  • पशु कल्याण का पशु स्वास्थ्य और मानव कल्याण और स्वास्थ्य से गहरा संबंध है, इसीलिए पशु कल्याण और पशु स्वास्थ्य की देखभाल तेजी से सार्वजनिक चेतना में बढ़ रहा है। 
  • covid महामारी फैलाने वाले ज़ूनोज़, एएमआर और पशु कल्याण में बढ़ती सार्वजनिक रुचि ने चार प्रमुख वैश्विक संगठनों एफएओ, यूएनईपी, डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूओएएच को 2022-2026 के लिए "एक स्वास्थ्य-संयुक्त कार्य योजना" तैयार करने के लिए प्रेरित किया है। 
  • इस कार्य योजना में मनुष्यों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया गया है।

PLMARKET

पोल्ट्री उद्योग की प्रमुख समस्याएं

  • इस उद्योग में अस्वच्छ परिस्थितियों में जानवरों को भारी मात्रा में रखा जाता है। इसका न केवल जानवरों के कल्याण और उनसे प्राप्त भोजन का उपभोग करने वालों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि इन सुविधाओं पर काम करने वाले और आसपास रहने वाले लोगों पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। 
  • इन उद्योगों द्वारा उत्पन्न वायुमंडल में उत्सर्जन, जल प्रणालियों में अपशिष्ट पदार्थों और मिट्टी में ठोस अपशिष्टों का प्रभाव मनुष्यों, अन्य जानवरों और पर्यावरण द्वारा महसूस किया जाता है।
  • ये दूषित वातावरण मुर्गियों को उच्च घनत्व वाले तार वाले पिंजरों, या 'बैटरी पिंजरों' में ठूंसने से बनता है। गंध, पार्टिकुलेट मैटर और अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण वायु गुणवत्ता और अपशिष्ट की समस्या का भारत में महत्वपूर्ण प्रभाव है। 
  • अनुबंध खेती, बड़े ऋण और एक बहुत ही विशिष्ट कौशल सेट के कारण, पोल्ट्री किसानों को घाटे के बावजूद उद्योग से बाहर निकलना अक्सर मुश्किल होता है। हालाँकि, इन किसानों के सामने आने वाली असंख्य समस्याएँ अक्सर उन्हें व्यवसाय से बाहर कर देती हैं। 
  • बाजार की अस्थिरता और उद्योग के दिग्गजों द्वारा प्रचलित प्रथाओं के कारण किसानों को नुकसान होता है। 
    • उदाहरण के लिए, रोगनिरोधी और विकास प्रवर्तक के रूप में पक्षियों को नियमित रूप से एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं ताकि अधिक लाभ के लिए अधिक जानवरों को पाला जा सके। विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रोटीन की बढ़ती मांग पशुधन में एंटीबायोटिक के उपयोग में वृद्धि का कारण बनेगी।
  • पोल्ट्री उद्योग में इन उत्पादन स्थलों पर उत्पन्न मल पदार्थ को स्थानीय किसानों द्वारा उर्वरक के रूप में उपयोग के लिए समय-समय पर एकत्र किया जाता है। ढेर में जमा खाद की मात्रा भूमि की वहन क्षमता से अधिक हो जाती है और प्रदूषक बन जाती है। इससे किसानो की फसलें खराब हो जाती हैं और कचरे के ढेर मक्खियों जैसे रोग फैलाने वालों के लिए प्रजनन स्थल बन रहे हैं। 
  • निवासियों को घरों के अंदर कीटनाशकों का छिड़काव करने जैसे उपाय अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और मतली जैसी गंध आती है, जिसका स्वास्थय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कानूनी सुधार का मार्ग

  • 2017 में भारत के 269वें विधि आयोग की रिपोर्ट में टाटा मेमोरियल सेंटर के एक अभ्यावेदन को रिकॉर्ड में रखा गया था जिसमें यह प्रमाण दिया गया था कि पोल्ट्री को दिए जाने वाले गैर-चिकित्सीय एंटीबायोटिक्स उनमें एंटीबायोटिक प्रतिरोध का कारण बनते हैं क्योंकि उनके रहने की स्थिति अस्वच्छ होती है।
  • अधिक खुले, स्वच्छ और हवादार रहने के स्थानों में, जानवरों को लगातार एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता कम होती है, जिससे उनके अंडे और मांस उपभोग के लिए सुरक्षित हो जाते हैं।
  • इस रिपोर्ट में मांस और अंडा उद्योगों में मुर्गियों के कल्याण के लिए दो मसौदा नियमों के एक सेट की सिफारिशें कीं, जिसमें कहा गया कि पशु कल्याण में सुधार के परिणामस्वरूप बेहतर और सुरक्षित भोजन मिलता है। 
  • इन नियमों में जानवरों की देखभाल, अपशिष्ट प्रबंधन और एंटीबायोटिक उपयोग सहित अन्य के लिए मौजूदा कानूनों और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं।

आगे की राह

  • पोल्ट्री उद्योग में सुधार के लिए सरकार और कॉर्पोरेट दोनों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • पहले कदम के रूप में, मुर्गियों को पिंजरों में नहीं रखा जाना चाहिए। यह क्रूर और अमानवीय है, यह जानवरो के लिए घनी आबादी वाली रहने की एक ऐसी स्थिति है जिससे वायरस को फैलने का मौका मिलता है।
  • सीपीसीबी द्वारा पोल्ट्री उद्योग को अत्यधिक प्रदूषणकारी 'नारंगी श्रेणी' उद्योग के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है, अतः पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन और प्रवर्तन के लिए सख्त निगरानी समय की मांग है। 
  • बर्ड फ़्लू से उत्पन्न जोखिम एक तत्काल संकेत देता है कि अब जानवरों, ग्रह और स्वयं के स्वास्थ्य के लिए खाद्य प्रणालियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाये।

निष्कर्ष

वर्तमान में उपस्थित सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट हमें यह दिखा रहा है, कि पशु कल्याण सार्वजनिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता संरक्षण के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। इस अवधारणा को भारत के पर्यावरण कानूनों और विनियमों में प्रतिबिंबित किये जाने की आवश्यकता है, जिससे पोल्ट्री उद्योग के समक्ष मौजूदा चुनौतियों का त्वरित समाधान किया जा सके।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR