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अनौपचारिक रूप से कूड़ा बीनने वालों की स्थिति

संदर्भ

अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला पारितंत्र में अनौपचारिक रूप से कूड़ा-कचरा बीनने वालों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद इन्हें अत्यधिक हाशिये पर रहने, गंभीर स्वास्थ्य खतरों का सामना करने एवं कानूनी सुरक्षा से बहिष्कृत होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस कारण इनके बारे में चर्चा करना आवश्यक है।

अनौपचारिक रूप से कूड़ा बीनने वालों के बारे में 

  • अपशिष्ट प्रबंधन में सहायक : अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन अपशिष्ट प्रबंधन में अनौपचारिक क्षेत्र को व्यक्तिगत या छोटे एवं सूक्ष्म उद्यमों के रूप में परिभाषित करता है जो बिना पंजीकरण व औपचारिक अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं के बिना अपशिष्ट प्रबंधन में हस्तक्षेप करते हैं।
  • प्रबंधन व संसाधन दक्षता में महत्व : पुनर्चक्रण योग्य कचरे का प्राथमिक स्तर पर संग्रहण इनके द्वारा ही किया जाता है। ये कचरे का संग्रह करने, छटाई करने, व्यापार करने एवं अर्थव्यवस्था में वापस लाने के माध्यम से कचरा प्रबंधन व संसाधन दक्षता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • प्रणालीगत रूप से बहिष्कृत : इसके बावजूद मान्यता प्राप्त न होने, प्रतिनिधित्व की कमी एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं व कानूनी सुरक्षा ढांचे से बहिष्कृत होने के कारण इन्हें प्रणालीगत रूप से हाशिए पर रहने का सामना करना पड़ता है।   

कचरा बीनने वालों की स्थिति 

  • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के आंकड़ों के अनुसार, अनौपचारिक कचरा अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर लगभग 0.5%-2% शहरी आबादी को रोजगार प्रदान करती है। 
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार, भारत के शहरी कार्यबल में लगभग 1.5 मिलियन कचरा बीनने वाले हैं जिनमें से आधे मिलियन महिलाएं हैं।
  • कूड़ा बीनने वाला एक व्यक्ति सुरक्षा उपकरणों के बिना 8 से 10 घंटे की अवधि में औसतन प्रतिदिन 60 से 90 किग्रा. कचरा इकट्ठा करता है।

केस स्टडी

एलायंस ऑफ इंडियन वेस्ट पिकर्स, 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, निजी हितधारक महंगी मशीनरी का इस्तेमाल करते हैं जो घरों व व्यवसायों जैसे कचरा उत्पादकों को प्रतिस्पर्धी दरों की पेशकश करते हैं। इससे अनौपचारिक रूप से कूड़ा बीनने वाले हाशिए पर चले जाते हैं और उन्हें डंप साइट आदि से खतरनाक कचरा उठाने के लिए मजबूर करता है। इससे उनका स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है और उनकी आय प्रभावित होती है। इसका प्रभाव उनकी सामाजिक स्थिति पर पड़ता है। 

चरा बीनने वालों का महत्त्व

  • विश्व आर्थिक मंच की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर कचरा बीनने वाले 60% तक प्लास्टिक एकत्र एवं रिकवर करते हैं जिसे बाद में पुनर्नवीनीकृत किया जाता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) एवं प्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल वर्ष 2016 में ही अनौपचारिक रूप से कचरा बीनने वालों ने 27 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा एकत्र किया। 
    • यह रीसाइक्लिंग के लिए एकत्र की गई सभी प्लास्टिक सामग्री का 59% है। इससे इसे लैंडफिल या समुद्र में जाने से रोका जा सका।
  • भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन बढ़ने के कारण सफल प्लास्टिक प्रबंधन में कचरा बीनने वालों की भूमिका एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरी है।
  • सी.पी.सी.बी. (CPCB) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 6 जनवरी भारत के लिए प्लास्टिक ओवरशूट दिवस है। भारत पहले से ही दुनिया के 52% कुप्रबंधित कचरे के लिए जिम्मेदार 12 देशों में शामिल है।

कचरा बीनने वालों के समक्ष चुनौतियां 

  • हिंसा व यौन उत्पीड़न की समस्या : कचरा बीनने वालों में महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग भी सम्मिलित होते हैं। इनमें से कुछ लोग विकलांग होने के साथ-साथ शहरी गरीबों में भी सबसे गरीब होते हैं जिन्हें प्राय: हिंसा व यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता हैं। 
  • स्थिति में गिरावट : इनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति, अनियमित कार्य, निम्न आय व उत्पीड़न के कारण जाति पदानुक्रम में इनकी अधीनस्थ स्थिति और भी अधिक जटिल हो गई हैं। 
  • स्वास्थ्य समस्या : इन्हें नियमित चोट के अतिरिक्त त्वचा संबंधी व श्वसन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता हैं। इनको अस्तित्व संबंधी अनिश्चितता का भी सामना करना पड़ता है। 
  • असुरक्षा का खतरा : नगर-निगम के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में निजी क्षेत्र की भागीदारी डिजाइन के आधार पर इन्हें इनके कार्य से अलग-थलग कर देती है, जिससे इनकी असुरक्षा का खतरा बढ़ जाता है और ये अपने कचरा उठाने के अधिकार से भी वंचित हो जाते है।
  • प्रदूषण : उन्हें प्लास्टिक धुएं को भी सहन करना पड़ता है और माइक्रोप्लास्टिक से दूषित पानी व हवा का उपभोग करना पड़ता है।  

विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR)  

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ाने के साधन के रूप में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) ने भारत में लोकप्रियता हासिल की है। EPR कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी नगरपालिका प्राधिकारियों से स्थानांतरित करता है और वाणिज्यिक अपशिष्ट उत्पादकों को जवाबदेह बनाता है। 
  • यह पारंपरिक ‘एंड-ऑफ-द-पाइप’ अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को परिवर्तित करके उत्पादकों को पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने, अपशिष्ट उत्पादन को कम करने एवं रीसाइक्लिंग में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
  • EPR अनौपचारिक रूप से कचरा बीनने वालों की भूमिका को स्वीकार करके सामाजिक समावेशन को एकीकृत करने का एक माध्यम बनता है।
  • भारत में EPR दिशानिर्देश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), उत्पादकों, ब्रांड मालिकों, उद्योग, उद्योग संघों, नागरिक समाज संगठनों और निश्चित रूप से स्वयं नागरिकों सहित कई हितधारकों की पहचान करते हैं।
  • हालाँकि, व्यवहार में EPR कचरे को अनौपचारिक क्षेत्र से दूर कर देता है, जिससे अनौपचारिक कचरा बीनने वालों का बड़े पैमाने पर विस्थापन का खतरा होता है।

क्या किया जाना चाहिए 

  • पारंपरिक ज्ञान का उपयोग : कचरा बीनने वालों के पास मौजूद पारंपरिक ज्ञान को मान्यता देकर उन्हें निर्णयन प्रक्रियाओं में शामिल करते हुए EPR प्रणालियों की प्रभावशीलता को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • सक्रिय संवाद : उत्पादकों एवं नीति-निर्माताओं सहित हितधारकों को निष्पक्ष व उचित परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए अनौपचारिक रूप से कचरा बीनने वालों और उनके प्रतिनिधि संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए।
  • अनौपचारिक रूप से कचरा बीनने वाले अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला पारितंत्र और भारत में अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों का एक अनिवार्य लेकिन अदृश्य हिस्सा है, जिसके महत्व को अनिवार्य रूप से समझने की आवश्यकता है।

क्या आप जानते हैं?

प्रतिवर्ष 1 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय कचरा बीनने वालों के दिवस (International Waste Pickers Day) के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1992 में कोलंबिया में  कचरा बीनने वालों की हत्या करने के कारण की गई थी।

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