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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

  • मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 की थीम – “बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा को बदलने की आवश्यकता” है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा नवंबर 1999 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सामान्य सम्मेलन द्वारा की गई थी।
  • 16 मई 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने प्रस्ताव में सदस्य देशों से "दुनिया के लोगों द्वारा बोली जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण और इन भाषाओं को बढ़ावा देने" का आह्वान किया।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बहुभाषावाद और बहुसंस्कृतिवाद के माध्यम से विविधता और अंतर्राष्ट्रीय समझ में एकता को बढ़ावा देने के लिए 2008 को अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष के रूप में घोषित किया।
  • विश्व स्तर पर,लगभग 40 प्रतिशत आबादी की उस भाषा में शिक्षा तक पहुंच नहीं है जिसे वे बोलते या समझते हैं।
  • दुनिया में बोली जाने वाली अनुमानित 6000 भाषाओं में से लगभग 43% संकट में हैं।

भारतीय संविधान में भाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 120 - संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 210 - विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 343 - संघ की राजभाषा।
  • अनुच्छेद 344 - राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति।
  • अनुच्छेद 345 - राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं।
  • अनुच्छेद 346  - एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा।
  • अनुच्छेद 347 - किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद 348 - उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 349 - भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया।
  • अनुच्छेद 350  - व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • अनुच्छेद 350 (क) - प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं।
  • अनुच्छेद 350 (ख) - भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी।
  • अनुच्छेद 351 - हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश।
  • भारत की नई शिक्षा नीति, 2020 में प्राथमिक विद्यालय से ही शिक्षा को मातृभाषा में ही दिये जाने पर जोर दिया गया है, जिससे बच्चों की शिक्षा और समझ में सुधार हो सके।
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