इंडिया विन्स फ्रीडम, तर्जुमन-ए-क़ुरान, ग़ुबारे-ए-खातिर, हिज्र-ओ-वसल, खतबात-ल-आज़ाद, दर्श-ए-वफा
अबुल कलाम आज़ाद एक उत्कृष्ट वक्ता, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् थे।
अबुल कलाम आज़ाद ने वर्ष 1912 में उर्दू में अल-हिलाल नामक एक साप्ताहिक पत्रिका जारी की, अंग्रेज़ी सरकार ने 1914 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया।
इसके बाद उन्होंने ‘अल-बलाग़’ नाम से दूसरा अख़बार जारी किया।
वर्ष 1916 में सरकार ने ‘अल-बलाग़’ पर भी प्रतिबंध लगा दिया तथा मौलाना आजाद को गिरफ्तार कर रांची जेल में डाल दिया गया, जहाँ उन्हें 1 जनवरी 1920 तक रखा गया।
वर्ष 1920 में अबुल कलाम आज़ाद, भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए।
वर्ष 1923 में उन्हें कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष चुना गया, कॉन्ग्रेस की अध्यक्षता करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए।
वर्ष 1930 में मौलाना आज़ाद को नमक सत्याग्रह में शामिल होने तथा नमक कानून का उल्लंघन करने के लिये गिरफ्तार किया गया।
वे 1940 में उन्हें फिर से कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष चुना गया, वे 1946 तक कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहे।
वर्ष 1947 में वह स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने और वे अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे।
शिक्षा मंत्री बनने के बाद आजाद ने 14 वर्ष से कम उम्र के सभी लोगों के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी, साथ ही वयस्क निरक्षरता, माध्यमिक शिक्षा और गरीब एवं महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया।
मौलाना आजाद के कार्यकाल में ही देश के पहले IIT, IISCएवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना हुयी।
अबुल कलाम आज़ाद, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
उन्होंने संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) तथा ललित कला अकादमी (1954) की भी स्थापना की।
1989 में मौलाना आजाद के जन्म दिवस पर, भारत सरकार द्वारा देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन’ बनाया गया।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को वर्ष 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
मौलाना आजाद के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।