New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

निजी स्वास्थ्य सेवा में सुधार की आवश्यकता 

प्रारम्भिक परीक्षा – निजी स्वास्थ्य सेवा में सुधार की आवश्यकता , जन स्वास्थ्य अभियान (JSA), क्लिनिकल प्रतिष्ठान (केंद्र सरकार) नियम, 2012
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3 (स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवा)

चर्चा में क्यों

  • हाल ही में जन स्वास्थ्य अभियान के 18 सूत्री पीपुल्स हेल्थ मेनिफेस्टो में निहित नीतिगत सिफारिशों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया।

health-care

प्रमुख बिंदु :-

  • इसमें स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में परिवर्तन की दो पूरक धाराओं की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है: 

     1.सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना 
     2.निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को विनियमित करना। 

भारत में निजी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति:-

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार करने के लिए निजी स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने की आवश्यकता है क्योंकि इसका देश में लगभग 70% योगदान है।
  • हाल ही में जारी वर्ष 2024 फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में 200 भारतीय शामिल हैं। 
  • इस सूची के अनुसार,विनिर्माण के बाद, भारत में निजी स्वास्थ्य सेवा उद्योग में अरबपतियों का सबसे बड़ा (लगभग- 36) योगदान है।
  • यह संख्या COVID-19 महामारी के दौरान और उसके बाद प्रत्येक वर्ष बढ़ रही  है। 
  • भारत में निजी स्वास्थ्य सेवा को उच्च मुनाफे का उद्योग माना जाता है।  
  • इसमें मरीजों से अत्यधिक शुल्क वसूल किया जाता है।

भारत में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार के लिए किये जा रहे कार्य :-

  • क्लिनिकल प्रतिष्ठान (केंद्र सरकार) नियम, 2012 :-
    • यह नियम निर्दिष्ट करते हैं कि सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को अपनी दरें प्रदर्शित करनी चाहिए और समय-समय पर सरकार द्वारा निर्धारित मानक दरों पर शुल्क लेना चाहिए। 
    • इन कानूनी प्रावधानों के 12 वर्ष होने के पश्चात् भी इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
    • सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से स्वास्थ्य देखभाल दरों को कानून के अनुसार मानकीकृत करने का निर्देश दिया है। 
    • इस कानून के अनुसार, स्वास्थ्य देखभाल दरों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और दरों के मानकीकरण को उचित तरीके से लागू किया जाए।
    • क्योंकि भारत में हजारों निजी अस्पताल केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना और प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना जैसे बड़े पैमाने पर सामान्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए मानक दरों पर प्रतिपूर्ति स्वीकार करते हैं। 
    • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार,इन कानूनों को सही तरीके से तब सुनिश्चित किया जा सकता है जब नैदानिक स्थापना नियम लागू हों या राज्य सरकारें अपने स्वयं के बेहतर अधिनियम अपनाएं । 
    • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अतार्किक स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेपों को रोकने के लिए मानक प्रोटोकॉल लागू करना भी आवश्यक है। 
    • इन्हें वर्तमान में व्यावसायिक विचारों के कारण व्यापक पैमाने पर प्रचारित किया जाता है। 
    • उदाहरण :- भारत में निजी अस्पतालों (48%) में सिजेरियन डिलीवरी का अनुपात सार्वजनिक अस्पतालों (14%) की तुलना में 3 गुना अधिक है। 
    • निजी अस्पतालों में, सीज़ेरियन सेक्शन के लिए यह हिस्सा चिकित्सकीय रूप से अनुशंसित मानक (सभी प्रसवों का 10-15%) से कहीं अधिक है। 

क्लिनिकल प्रतिष्ठान (केंद्र सरकार) नियम, 2012  से लाभ :-

  • इससे निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले अत्यधिक बिल में कमी आएगी। 
  • रोगियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल परिणामों में सुधार होगा।
  • इससे प्रत्येक रोगी को उनकी स्थिति और उपचार के बारे में बुनियादी जानकारी प्राप्त होगी। 
  • मरीजों को दवाएं या परीक्षण प्राप्त करने के लिए दूसरी राय, सूचित सहमति, गोपनीयता और प्रदाता की पसंद का अधिकार मिलेगा।
  • इससे कोई भी अस्पताल किसी भी बहाने से मरीज के शव को रोक नहीं सकेगा।
  • मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों को अनुकूल वातावरण मिल सकेगा। 
  • मरीजों और प्रदाताओं के बीच विश्वास बढ़ेगा।

महाविद्यालयों के व्यावसायीकरण पर नियंत्रण :-

  • इस घोषणापत्र में व्यावसायीकृत निजी मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 
  • व्यावसायीकृत निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेजों से अधिक नहीं होनी चाहिए। 
  • चिकित्सा शिक्षा का विस्तार व्यवसायिक निजी संस्थानों के बजाय सार्वजनिक कॉलेजों पर केंद्रित होना चाहिए। 

आगे की राह :-

  • थाईलैंड में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली जैसे सफल मॉडलों का अनुकरण करते हुए, भारत में ऐसी प्रणाली हर किसी को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक अधिकार-आधारित पहुंच प्रदान कर सकती है।

जन स्वास्थ्य अभियान (JSA)

  • इसका  गठन वर्ष 2001 में किया गया था।
  • यह देश भर में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल पर गतिविधियों और कार्यों का समन्वय करता है।  
  • इसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन, नारीवादी संगठन, जन विज्ञान संगठन, सेवा वितरण नेटवर्क और ट्रेड यूनियन शामिल हैं।

उद्देश्य

  • भारतीय लोगों के स्वास्थ्य, विशेषकर गरीबों के स्वास्थ्य पर अन्यायपूर्ण वैश्वीकरण की नीतियों के प्रतिकूल प्रभाव की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करना ।
  • स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार को बुनियादी मानवाधिकारों के रूप में स्थापित करने के अभियान में 'सभी के लिए स्वास्थ्य' हासिल करने के अभियान को रेखांकित करना।
  • स्वास्थ्य देखभाल के लिए न्यूनतम मानक और तर्कसंगत उपचार दिशानिर्देश स्थापित करते हुए स्वास्थ्य देखभाल के व्यावसायीकरण का सामना करने की आवश्यकता व्यक्त करना।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न :- हाल ही में जारी जन स्वास्थ्य अभियान के 18 सूत्री पीपुल्स हेल्थ मेनिफेस्टो के अनुसार, निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत में कितना प्रतिशत योगदान है?  

(a) 50 प्रतिशत 

(b) 60 प्रतिशत 

(c) 70 प्रतिशत 

(d) 80 प्रतिशत 

उत्तर (c)

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR