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एक राष्ट्र, एक विधायी मंच

प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-2

संदर्भ- 

  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 21 अगस्त 2023 को "एक राष्ट्र, एक विधायी मंच" का आह्वान किया, जिसके तहत प्रत्येक मतदाता कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग ले सकता है और एक विधायी मंच पर विधायी निकायों में अपने प्रतिनिधि के आचरण के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।

मुख्य बिंदु-

  • उदयपुर में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (CPA), हिन्द क्षेत्र की नौवीं बैठक को संबोधित करते हुए, बिड़ला ने कहा, "मतदाताओं को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते समय सदन में अपने प्रतिनिधियों के व्यवहार को ध्यान में रखना चाहिए।"
  • देश भर के विधानसभा अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को संबोधित करते हुए दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में, श्री बिड़ला ने पीठासीन अधिकारियों से कहा, “हम विभिन्न दलों द्वारा चुने जाते हैं, लेकिन हमें राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठना चाहिए और सदन की अध्यक्षता करते समय निष्पक्ष रहना चाहिए।” 
  •  सभापति की गरिमा बनाए रखना और सदन निष्पक्ष तरीके से चले यह सुनिश्चित करना, हमारी विशेष जिम्मेदारी है।
  • उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण की वकालत की और कहा कि नवीन तकनीकों के उचित उपयोग से विधायी निकायों के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता लाने में बहुत मदद मिलेगी।
  • विकासशील देशों के लिए नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी को महत्वपूर्ण बताते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि यह शासन को तेज, कुशल, पारदर्शी, नवोन्मेषी और समावेशी बनाने में मदद करता है और कहा कि विधायकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आईटी क्रांति ने सुशासन की सुविधा में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।

लाभ-

  • ओम बिड़ला का कहना है कि सांसदों के आचरण के बारे में जानकारी तक आसान पहुंच से सदन को मदद मिल सकती है।
  • उन्होंने कहा, इससे सांसद सदन के अंदर गरिमापूर्ण आचरण कर सकेंगे।
  • उनके अनुसार, “हमें इन संस्थानों को और अधिक जवाबदेह बनाना होगा। हम व्यवधानों को कब कम कर सकते हैं? केवल तभी जब मतदाता अपने प्रतिनिधियों से सदन में उनके आचरण पर सवाल उठाना शुरू कर दें।”
  • बिड़ला ने कहा कि संसद में बार-बार होने वाले व्यवधान और हंगामेदार दृश्यों ने "सदन की गरिमा" को प्रभावित किया है और कानून बनाने की प्रक्रिया में सदस्यों की भागीदारी कम कर दी है।
  • उन्होंने कहा कि कानून बनाने की प्रक्रिया और विधायी निकायों की कार्यप्रणाली के बारे में हर जानकारी सभी नागरिकों के लिए एक मंच पर उपलब्ध कराने से संस्थाएं अधिक जवाबदेह बनेंगी और संभावित रूप से विधायक विधानसभा या संसद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए आचरण करेंगे। 
  • उन्होंने सांसदों से कम से कम उन मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा करने का आह्वान किया, जो राजनीतिक नहीं हैं।
  • बिड़ला ने यह भी कहा कि, जनप्रतिनिधियों को अनुकरणीय आचरण और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए, ताकि सदन की प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़े।
  • बिड़ला ने कहा कि संसद या राज्य विधानसभा और विधान परिषद सहित विधानमंडल देश के 140 करोड़ भारतीयों की आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी है कि वे विधायिका में लोगों के विश्वास को बनाए रखें।
  • उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि विधानमंडल लोगों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए काम करे। उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को लोकतंत्र को मजबूत करने और संसदीय परंपराओं को समृद्ध करने के प्रयास करने चाहिए।
  • जनता की विधायकों से यह आशा होती है कि वे जनकल्याणकारी नीतियों को तैयार करने में कार्यपालिका का मार्गदर्शन करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान और उनके कल्याण के लिए विधानमंडलों में सार्थक चर्चा करेंगे।
  • बिड़ला ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमता के इस युग में, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन जैसी नवीन तकनीकों के उचित उपयोग से विधायी निकायों के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता लाने में बहुत मदद मिलेगी।
  • उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि विधानमंडल लोगों की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी में योगदान करते हुए अधिक प्रभावी ढंग से और कुशलता से कार्य करें। 
  • लोकसभा अध्यक्ष ने राज्य विधानमंडलों से आगे बढ़कर कार्य में एकरूपता लाने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ को लागू करने का भी आग्रह किया।

आरटीआई से चुनौती-

  • बिड़ला ने चिंता व्यक्त की कि आरटीआई कार्यकर्ताओं को आम लोगों की तुलना में अधिक जानकारी मिल रही है और सुझाव दिया कि एक डिजिटल प्लेटफॉर्म, जो कानून बनाने की प्रक्रिया और विधायी निकायों के कामकाज को उनके लिए सुलभ बना सकता है, इसका समाधान कर सकता है। 
  • उन्होंने कहा, "अगर आरटीआई कार्यकर्ताओं को विधायिका के मंचों से नागरिकों को जो जानकारी मिलती है, उससे अधिक जानकारी मिलती है, तो यह चिंता का विषय है।" 
  • "एक राष्ट्र, एक विधायी मंच' लागू होने के बाद प्रत्येक व्यक्ति सभी मुद्दों, प्रश्नों, बजट और उसके प्रस्तावों, साथ ही विधेयकों को एक मंच पर देख सकता है।"

पूर्व की कार्यवाही-

  • अध्यक्ष ने पहले घोषणा की थी कि सभी विधानमंडलों- संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ विधान परिषदों - की कार्यवाही 2023 के अंत तक एक मंच पर उपलब्ध होगी।
  • सूत्रों के अनुसार, इस पर 50 फीसदी काम हो चुका है. सदनों के कामकाज की जानकारी प्रदान करने के अलावा, इस प्लेटफ़ॉर्म पर मेटाडेटा के माध्यम से सभी दस्तावेज़ भी उपलब्ध होने की उम्मीद है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की  हिन्द क्षेत्र की नौवीं बैठक कहाँ आयोजित की गई?

(a) मुंबई

(b) नई दिल्ली

(c) लखनऊ

(d) उदयपुर

उत्तर - (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- एक राष्ट्र, एक विधायी मंच' लागू होने के बाद प्रत्येक व्यक्ति सभी मुद्दों, प्रश्नों, बजट और उसके प्रस्तावों, साथ ही विधेयकों को एक मंच पर देख सकता है। टिप्पणी कीजिए।

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