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राज्यसभा ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2023 पारित किया

प्रारम्भिक परीक्षा – सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2023
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र –2

चर्चा में क्यों

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक - 2023 को 27 जुलाई 2023 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया ।

सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता

  • सिनेमैटोग्राफ अधिनियम- 1952 को कई कारणों से संशोधित करने की आवश्यकता थी जैसे - विभिन्न कार्यकारी आदेशों, सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों और अन्य विधानों के साथ कानून को सुसंगत बनाने के लिए ।
  • सीबीएफसी द्वारा सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में सुधार करना ।
  • प्रमाणीकरण के लिए वर्गीकरण के दायरे का विस्तार करना।
  • फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग (unauthorised recording) और प्रदर्शन (exhibition) के मुद्दे तथा पायरेसी पर अंकुश लगाने के लिए ।

प्रमुख बदलाव

  • यह बिल सिनेमैटोग्राफ एक्ट-1952 में संशोधन करता है। एक्ट फिल्म प्रमाणन बोर्ड (बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) का गठन करता है, जोकि प्रदर्शन के लिए फिल्मों को प्रमाणित करता है।
  • ये प्रमाणपत्र संशोधन/विलोपन के अधीन हो सकते हैं। बोर्ड किसी फिल्म के प्रदर्शन से इनकार भी कर सकता है।
  • प्रमाणपत्रों की श्रेणियों में संशोधन : यह बिल आयु के आधार पर प्रमाणपत्रों की कुछ अतिरिक्त श्रेणियां जोड़ता है। एक्ट के तहत फिल्म के प्रदर्शन के लिए प्रमाणन के प्रावधान :
    (i) बिना किसी प्रतिबंध के (U)
    (ii) बिना किसी प्रतिबंध के लेकिन 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए माता-पिता या अभिभावकों के मार्गदर्शन के अधीन(UA )
    (iii) केवल वयस्कों के लिए (A)
    (iv) किसी पेशे के सदस्यों या व्यक्तियों के वर्ग के लिए (S) ।
  • बिल में यूए(UA) श्रेणी के स्थान पर तीन श्रेणियों को लाया गया है :

        (i) यूए(UA ) 7+
        (ii) यूए(UA ) 13+
        (iii) यूए (UA )16+

  • बिल 'यूए' श्रेणी के तहत तीन प्रमाणपत्र पेश करता है, यूए 7+, यूए 13+ और यूए 16+, जिसका अर्थ है कि दी गई आयु सीमा से कम उम्र के बच्चे माता-पिता के मार्गदर्शन में ऐसी फिल्मों को देख सकते हैं।
  • टेलीविजन एवं अन्य मीडिया के लिए अलग प्रमाण पत्र: 'ए' या 'एस' प्रमाणपत्र वाली फिल्मों को टेलीविजन एवं केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य मीडिया पर प्रदर्शन के लिए एक अलग प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी।
  • बोर्ड आवेदक को यह निर्देश दे सकता है कि वह अलग प्रमाणपत्र के लिए उचित संशोधन करे। यह बिल किसी फिल्म की श्रेणी को ए (वयस्क) या एस (विशेष समूह) से यूए में बदलने की अनुमति देता है। साथ ही, यह हमेशा के लिए वैध होगा।
  • बिल अनाधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन पर सजा का प्रावधान करता है एवं अनाधिकृत रिकॉर्डिंग का प्रयास करना भी अपराध होगा।
  • अनाधिकृत रिकॉर्डिंग का आशय मालिक की अनुमति के बिना फिल्म प्रदर्शन के लिए प्रतिलिपि बनाना या प्रसारित करना है।
  • अनाधिकृत प्रदर्शन का अर्थ है लाभ के लिए फिल्म की सार्वजनिक प्रदर्शन जैसे - ऐसे स्थान पर जहां फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए लाइसेंस नहीं है या इस तरीके से जो कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करता है।
  • 1957 का एक्ट कुछ मामलों में मालिक की अनुमति के बिना कॉपीराइट सामग्री के सीमित उपयोग की अनुमति देता है जैसे: निजी या व्यक्तिगत उपयोग, करंट अफेयर्स की रिपोर्टिंग और कार्य की समीक्षा या आलोचना।
  • अपराध के लिए तीन महीने से तीन वर्ष के बीच कारावास या तीन लाख रुपए से लेकर ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत (audited gross production cost) का 5% तक जुर्माना हो सकता है ।
  • प्रमाणपत्र हमेशा वैध रहेंगे: एक्ट के तहत बोर्ड की तरफ से जारी प्रमाणपत्र 10 वर्षों के लिए वैध होते थे । परन्तु अब प्रमाणपत्र हमेशा वैध रहेंगे।
  • केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियां: एक्ट के अनुसार केंद्र सरकार को उन फिल्मों के संबंध में जांच करने के आदेश देने का अधिकार था जो प्रामाणित हो चुकी हैं या प्रमाणन के लिए लंबित हैं। इस बिल में केंद्र सरकार की इस शक्ति को समाप्त कर दिया गया है।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) क्या है?

  • सीबीएफसी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसे सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के तहत फिल्मों की सार्वजनिक प्रदर्शनी को विनियमित करने का काम सौंपा गया है।
  • बोर्ड द्वारा प्रमाणित होने के बाद ही फिल्में भारत में दिखाई जा सकती हैं।
  • बोर्ड में सदस्य और एक अध्यक्ष होते हैं (जिनमें से सभी को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है) और इसका मुख्यालय मुंबई में है।
  • अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्य तीन साल तक सेवा करते हैं। सीईओ, अध्यक्ष के अधीन, प्रशासनिक कामकाज का प्रभारी होता है।

सीबीएफसी संरचना

  • सीबीएफसी के नौ क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनमें से एक-एक मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद, नई दिल्ली, कटक और गुवाहाटी में है।
  • क्षेत्रीय कार्यालयों को फिल्मों की जांच में सलाहकार पैनल द्वारा सहायता प्रदान की जाती है जिसमें कई सदस्य हो सकते हैं।
  • इन पैनल सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा दो साल के लिए नामित किया जाता है। बोर्ड के सदस्य आमतौर पर फिल्म और टीवी पेशेवर होते हैं, सलाहकार पैनल के सदस्य अक्सर उद्योग के बाहर से होते हैं।

प्रश्न : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. सीबीएफसी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है ।
2. एक्ट के तहत बोर्ड की तरफ जारी प्रमाणपत्र 10 वर्षों के लिए वैध था जिसे बढ़ा कर 20 वर्ष कर दिया गया है ।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल कथन -1
(b) केवल कथन -2
(c) कथन 1 और कथन 2
(d) कोई भी नहीं

उत्तर : (a)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: क्या सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक फ़िल्म जगत में व्यापक बदलाव ला सकता है ? परीक्षण कीजिए ।

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