प्रारम्भिक परीक्षा - रानिल विक्रमसिंघे का सत्ता हस्तांतरण प्रस्ताव, समसामयिकी मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2 |
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में श्री विक्रमसिंघे द्वारा तमिल राजनीतिक दलों के साथ बैठक बुलाई।
प्रमुख बिंदु
भारत ने लगातार कानून के ‘पूर्ण कार्यान्वयन’ को रेखांकित किया है, जिसे 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद अधिनियमित किया गया था।
श्रीलंकाई तमिलों की आत्मनिर्णय के अधिकार की ऐतिहासिक मांग के बाद, यह कुछ शक्ति हस्तांतरण की एकमात्र विधायी गारंटी बनी हुई है, हालाँकि, 13वाँ संशोधन सभी नौ प्रांतों को सत्ता हस्तांतरित करने का प्रयास करता है, जिनमें सिंहली-बहुसंख्यक आबादी वाले सात प्रांत भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने तमिल नेतृत्व के साथ एक विस्तृत दस्तावेज साझा किया, जिसमें सत्य-खोज तंत्र (truth-seeking mechanisms), सुलह, जवाबदेही, विकास और शक्ति हस्तांतरण के संबंध में उनकी सरकार की योजनाओं की रूपरेखा दी गई।
विकासात्मक योजना ओंमेंक ई परियोजनाएं शामिल हैं, जैसे-जाफना में पलाली हवाई अड्डे, कांकेसंतुराई हार्बर को अपग्रेड करना, दक्षिण भारत और उत्तरी श्रीलंका के बीच नौका कनेक्टिविटी स्थापित करना आदि।
हस्तांतरण से संबंधित 16 पेज के डोजियर मेंकहा गया है कि 13वां संशोधन पुलिस शक्तियों के अपवाद (exception of police powers) के साथ लागू किया जाएगा।
टीएनए ने प्रधानमंत्री मोदी को 17 जुलाई को लिखे एक पत्र में कहा कि भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय श्रीलंकाई नेताओं परविश्वास नहीं करतें हैं।
दरअसल श्रीलंकाई राज्य अपने वादों तथा आश्वासनों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहा है। साथ ही, संविधान में 13 वें संशोधन के कार्यान्वयन को रोकने का भी प्रयास किया है।
तमिल नेशनल अलायन्स (टीएनए) के अनुसार,भूमि और पुलिस शक्तियों का हस्तांतरण औरविधायी हेरफेर द्वारा प्रांतों द्वारा पहले से ही प्राप्त शक्तियों का दुरुपयोग किया गया है।
टीएनए ने भारतीय प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि जब श्रीलंका के राष्ट्रपति नई दिल्ली आएं तो वे श्रीलंका के उत्तर-पूर्व के तमिल लोगों के साथ शासन की शक्तियां साझा करने के संबंध में भारत से की गई प्रतिबद्धताओं को बिना देरी के लागू करने को कहें।
श्रीलंका के संविधान का 13वां संशोधन ?
इस संशोधन के द्वारा श्रीलंका के नौ प्रांतों में काउंसिल को सत्ता में साझीदार बनाने की बात कही गई। इसका मुख्य उद्देश्य श्रीलंका में तमिलों और सिंहलियों के बीच के संघर्ष को रोकना था।
संविधान संशोधन के जरिए प्रांतीय परिषद बनाने की बात थी ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जा सके।
यह संशोधन जुलाई 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जयवर्धने के बीच शांति समझौते के बाद हुआ था।
उस समय, श्रीलंका सशस्त्र बलों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के बीच गृहयुद्ध जैसी स्थिति थी,साथ ही श्रीलंका में एक अलग प्रांत की मांग की जा रही थी।
भारत-श्रीलंका शांति समझौते का उद्देश्य तत्कालीन उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में राजनीतिक शक्ति हस्तांतरित करने का एक तरीका खोजना था, जिसमें देश के तमिल बहुल क्षेत्र शामिल थे।
इस समझौते के तहत श्रीलंका के संविधान में 13वां संशोधन करके प्रांतीय परिषद को सक्षम बनाया गया था।
इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आवास, भूमि और पुलिस जैसे विभिन्न मुद्दे शामिल हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. तमिल समुदाय श्रीलंका के उत्तर-पूर्व में रहता है । 2. 13वां संशोधन करके प्रांतीय परिषद को सक्षम बनाया गया था। 3. 13वां संशोधन भारत- श्रीलंका समझौते के बाद अधिनियमित किया गया था। उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं? (a) केवल एक उत्तर (c) मुख्य परीक्षा प्रश्न : भारतीय विदेश नीति में तमिल मुद्दा हमेशा चर्चा का विषय क्यों बना रहता है? इसके प्रमुख कारणों का विश्लेषण कीजिए |